- निर्दलीय ताल ठोंक उत्तर मध्य के घमासान में उतरे कमलेश अग्रवाल?
- उतार मध्य के घमासान से विनय सक्सेना प्रफुल्लित।
जबलपुर (नवनीत दुबे)। उतार मध्य विधानसभा में पहले से ही भारी घमासान मचा हुआ है जिसके चिंता की लकीरें भाजपा प्रत्याशी अभिलाष पांडेय के चेहरे परेशानी की दासतां बयां कर रही है, फिर भी अभिलाष को एक आस है कि लंबे समय से भाजपा का गढ़ माने जाने वाला इस विधानसभा में इस बार भाजपा का परचम लहराएगा, हालांकि पिछली बार भी भाजपा प्रत्याशी शरद जैन के विरोध के चलते धीरज पटेरिया ने बहुतायत संख्या में वोट हासिल किए थे, वो बात अलग है कि इसके बाद भी कांग्रेस के विनय सक्सेना उत्तर मध्य के विधायक बने थे, ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि पश्चिम विधानसभा से सांसद राकेश सिंह को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद अभिलाष की सारी मेहनत धरी की धरी रह गई थी, जिस हिसाब से अभिलाष पूर्ण आस्वस्त थे कि पश्चिम से उनकी दावेदारी तय है पर हाय री विडंबना सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया राकेश सिंह जी ने लेकिन प्रदेश अध्यक्ष की करीबी का अभिलाष को लाभ मिला और उत्तर मध्य से प्रत्याशी बनाकर मेहनत का फल दिया गया, लेकिन हास्यदपड ही कहेंगे कि जिस विधानसभा से अभिलाष भली भांति परिचित भी नही है वहां से चुनाव लड़ रहे है, खैर मुद्दे की बात पर आते है वैसे ही अभिलाष उत्तर मध्य के भाजपाई घमासान से काफी विचलित है और यहाँ के मतदाताओं के बीच अपनी पहचान स्थापित कर जीत का आशीर्वाद मांग रहे है वो बात अलग है कि जनसंपर्क में कुछ विभीषण अभिलाष के लिए भीतर घात का मसौदा बना रहे है, तो वहीं आज नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल ने निर्दलीय ताल ठोंककर नामांकन भर दिया है जिससे अभिलाष की परेशानी और बढ़ गई जिस तरह से आखरी मौके पर कमलेश ने चौका मारा है उसकी चर्चा संस्कारधानी में बड़े चटकारे के साथ हो रही है, कयास ये भी लगाया जा रहा है कि कमलेश अपना दमखम दिखाने आज नामांकन फार्म भरे है और जल्द ही नाम वापस भी ले लेंगे, वहीं कमलेश का कहना है कि जनता के आदेश पर उन्होंने निर्दलीय नामांकन भरा है और आगे भी जनता जैसा चाहेगी वैसा हो करेंगे, हास्यदपड कहे या बेरुखी के जनता का नाम लेकर अपने मन की पीड़ा का प्रदर्शन हर राजनीतिक दल के नेता करते है, खैर “सियासत में जो दिखता है वो होता नहीं और जो होता है वो दिखता नहीं” आखिरकार उत्तर मध्य विधानसभा में भाजपाई घमासान से कांग्रेस के प्रत्याशी विनय सक्सेना मन ही मन फुले नहीं समा रहे और अपनी जीत के प्रति आस्वास्त है, पर अंदर की बात ये भी है कि सक्सेना जी के लिए भी कुछ कोंग्रेसी जड़ खोदने का काम कर रहे है? अंततः जिस तरह से अभिलाष के सामने अपने ही दल भाजपा के कार्यकर्ता संकट की दीवार बन कर सामने आ रहे है वह चुनावी समीकरण को कुछ हद तक प्रभावित भी करेगा तो वहीं कमलेश अग्रवाल ने जिस तरह निर्दलीय चुनाव लड़ने की हुंकार भरी है, संभवतः उत्तर मध्य के असन्तोषी आक्रोशित भाजपाइयों का अंदरूनी सपोर्ट कमलेश के लिए लाभदायक हो सकता है।