नवनीत दुबे| 22 जनवरी हिंदुस्तान के इतिहास में बड़े स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो जायेगी, हिंदुस्तान की आस्था और विश्वास प्रभु राम अयोध्या में एक लंबे वनवास के बाद पुनः स्थापित होकर सनातनी अस्तित्व का दमखम जयकारों के उद्घोष के साथ भगवा पताका लहराते हुए राम राज्य की स्थापना का संदेश चहुओर फहराएंगे ये कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि प्रभु की जन्म स्थली अयोध्या पर आतताई मुगलों द्वारा अपना वजूद दर्शाने बावरी बना दी थी, लेकिन श्री राम के अस्तित्व को चुनोती देने वालो को वर्तमान में करारा तमाचा पड़ा है, बड़े ही उत्साह और आस्था से सराबोर हिंदुस्तान 22 जनवरी का भावुक आंखों से इंतजार कर रहा है, जब तंबू में 500 साल रहने वाले हिंदुस्तान के सर्वेसर्वा प्रभु राम भाजपा की मोदी सरकार के कार्यकाल में पूर्ण सम्मान और प्रतिष्ठा के बीच स्थापित होने जा रहे है, ऐसे में जो परिदृश्य नजर आ रहे है वह हास्यास्पद कहे या विडंबना के भाजपा के विरोधी प्रभु श्री राम की स्थापना को लेकर व्यथित ओर चिंतनीय है व्यथित इस बात से नही के अयोध्या में राम राज्य की स्थापना बल्कि चिंतनीय इस बात को लेकर है कि मोदी जी के कार्यकाल में भाजपा सरकार द्वारा अयोद्या में श्री राम माता जानकी वीर लक्ष्मण और मारुतिनंदन, पूरे परिवार के साथ स्थापित हो रहे है, जिससे हर सनातनी हिंदुस्तानी प्रफुल्लित है और भाजपा सरकार के प्रति आभार के हार्दिक भाव प्रदर्शित कर रहे है, बस यही चिंता विपक्षी दलों की रातों की नींद हराम किये है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा 390 से 405 सीट पर वर्चस्व के साथ पुनः स्थापित न हो जाय और भाजपा विरोधी दल खासतौर पर राष्ट्रीय कांग्रेस हाशिये पर आ जाय और अपने बचे खुचे अस्तित्व को बचा पाने में नाकाम साबित हो अर्थात कुछ राज्य विशेष को छोड़ दे तो बाकी अधिकांश लोकसभा सीटों से पार्टी की नाक बचाने जद्दोजहद में संघर्ष करती नजर आए, वैसे जिस तरह से विपक्षी दल भीतर ही भीतर प्रभु राम की अयोद्या में पुनः स्थापना को लेकर सियासती अनर्गल बयानबाजी कर रहे है वह प्रदर्शित करता है कि इन दलों के प्रमुख ओर वरिष्ठों का मानसिक स्तर किस हद का है और सर्वोपरि पूज्य हिंदुस्तान के आराध्य श्री राम के प्रति कितनी आस्था रखते है? खेर मुद्दे की बात यह है कि लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है ठीक इससे पहले मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में भाजपा की ऐतिहासिक जीत ने ये संकेत तो दे दिए है कि देशभक्त हिंदुस्तानी का झुकाव किस राजनीतिक दल की तरफ है, और सनातन की जय जय कार हर हृदय को भाव विभोर करे हुए है, ये देखते हुए सहसा ही अनुमान लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव में सत्ता की बागडोर एक बार फिर भाजपा के हाथों में होगी? ओर विपक्षी दल के कार्यकर्ता अपने आकाओं की हठ धर्मिता व श्री राम के अस्तित्व से उपहास उड़ाने का परिणाम भोगेंगे? शब्द कटु है, पर सोलह आने सत्य है कि कांग्रेस के कार्यकाल में अयोद्या में प्रभु राम की स्थापना के लिए कोई प्रयास नही किये गए बल्कि कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों ने सनातन का मजाक बनाने के साथ ही श्री राम के वजूद तक को चुनोती दे डाली थी, जिसका खामियाजा सनातनी कांग्रेसी ओर अन्य भुगत रहे है?और अपने राजनीति भविष्य को सुरक्षित नही देख पा रहे है?