जबलपुर, (साईडलुक डेस्क)। मप्र उच्च न्यायालय ने शराब पीकर थाने में अनुशासनहीनता करने पर बर्खास्त किए गए रायसेन जिले के दो पुलिसकर्मियों को बहाल करने के निर्देश दिए। जस्टिस नन्दिता दुबे की सिंगल बेंच ने कहा कि किसी सरकारी कर्मचारी को सुनवाई का मौका दिए बिना बर्खास्तगी जैसी बड़ी सजा देना गलत है। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।
रायसेन जिला निवासी सुरेश शर्मा (पूर्व प्रधान आरक्षक) व कुद्देश अंसारी(पूर्व आरक्षक) की ओर से यह याचिका दायर की गई। न्यायालय को बताया गया कि दोनों बीते वर्ष बाडी थाने में तैनात थे। रायसेन एसपी ने डीआईजी होशंगाबाद को 14 सितंबर 2021 को एक रिपोर्ट दी। इसमें बताया गया कि 8 सितंबर को बाडी थाने के एसआई केशव शर्मा व याचिकाकर्ताओं ने शराब पीकर मदहोशी की हालत मे पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष सुरेन्द तिवारी को थाने में बेवजह बैठाए रखा। उसके साथ गालीगलौज और मारपीट भी की गई। एक मामले में समझौता करने के लिए उस पर दबाव बनाया। रिपोर्ट के आधार पर 30 सितंबर 2021 को दोनों को बर्खास्त कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि उक्त सुरेंद्र तिवारी को उन्होंने नाईट पेट्रोलिंग के दौरान रात 12 बजे बेवजह घूमते पाया। पूछताछ करने पर उसने पुलिसकर्मियों से दुर्व्यवहार किया। इस पर उसे थाने लाया गया। लेकिन एसडीओपी के आने पर वह घर चला गया। तर्क दिया गया कि बर्खास्तगी आदेश जारी करने के पूर्व न तो याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का अवसर मिला और ना ही उनके खिलाफ विभागीय जांच की गई।