जबलपुर, डेस्क। मप्र उच्च न्यायालय ने महापौर व नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव की अलग-अलग प्रक्रिया को चुनौती देने वाली जनहित याचिका निरस्त कर दी। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने 14 नवंबर 2019 के पूर्व आदेश के आधार पर यह निर्णय सुनाया।
जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे व अन्य की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 26 मई 2022 को अध्यादेश जारी कर नगर निगम अधिनियम की धारा 9 में संशोधन कर महापौर का चुनाव सीधा जनता से कराने का निर्णय लिया गया। जबकि नगर पालिका अधिनियम में कोई संशोधन न करते हुए नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के जरिये कराए जाने का निर्णय लिया गया। इस वजह से महापौर की तरह नगर पालिका अध्यक्ष का निर्वाचन भी सीधे जनता के माध्यम से कराए जाने की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की गई है।
उच्च न्यायालय ने सभी तर्क सुनने के बाद साफ किया कि पूर्व में इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका निरस्त की जा चुकी है, इसलिए विचाराधीन जनहित याचिका भी उसी आधार पर निरस्त की जाती है।