पहले यातायात पुलिस फिर उखरी चौकी वाले दिनभर चलती है वसूली?
जबलपुर (नवनीत दुबे)। सर्वविदित है कि माननीय न्यायालय के आदेश के बाद दो पहिया वाहन चालकों को हेलमेट लगाना अनिवार्य हो गया है किंतु विडंबना कहे या दुर्भाग्य के जिन बुद्धिजीवियों द्वारा ये आदेश पारित किया गया। शायद वह संस्कारधानी जबलपुर की बदहाल व्यवस्था से रूबरू नही हुए है, कलम का आशय सम्मानीय बुद्धिजीवियों की प्रतिष्ठा को धूमिल करना नहीं वरन आशय सिर्फ ये है कि बदहाली कजो दंश संस्कारधानी वासी भोग रहे है। वो पीड़ा लग्जरी वाहनों में वीआईपी सुविधा में जीवन यापन करने वाले इस नारकीय पीड़ा से अनभिज्ञ है, संभवतः इसलिए हेलमेट अनिवार्य का आदेश पारित कर दिया, बस आदेश पारित होते ही ख़ाकीधारियों कि पांचों उंगलियां घी में ओर सर कढ़ाई में आ गया। पहले तो दो नम्बरीयों से मासिक शुल्क या ये कहे माहबन्दी मिलती ही थी, लेकिन हेलमेट अभियान के नाम पर लूट की खुली छूट मिल गई। बात कटु है किंतु सत्य है आज शहर में चल रहे कमिशनखोरी की भेंट चढ़े विकास कार्यों से हो रही परेशानी से हर आमजन पीड़ित है। और ऐसे में थाना पुलिस व यातायात विभाग के वर्दीधारी चैकिंग के नाम पर आमजन को परेशान कर रहे है और न्यायलय व पुलिस कप्तान के आदेश का हवाला देकर जमकर वसूली कर रहे है? हालांकि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि पुलिस कप्तान को निर्धारित लक्ष्य दिया गया हो चुनाव साल में मोटी रकम सियासत के रशुखदारों सत्ताधारियों द्वारा उन तक पहुंचाने का भला ऐसे में कप्तान साहब भी क्या करें? अपने पास से तो देंगे नहीं माननीय न्यायालय के आदेश को सर्वोपरि दर्शाते हुए राजस्व में वृद्धि के लिए अधीनस्थों को खुली छूट दे दी? अब वास्तविकता जो भी हो लेकिन संस्कारधानी का जनमानस खाकीधारियों की इस प्रताड़ना से व्यथित है और कमिशनखोर व्यवस्था को कोस रहा है, सर्वविदित है कि पूरे शहर में प्रतिदिन प्रमुख मार्गों पर यातायात व्यवस्था चौपट है, हर घंटे जाम के हालात बन रहे है खासतौर पर रानीताल से लेकर बल्देवबाग चौंक पर पुलिसकर्मी सिर्फ वसूली में लगे रहते है जाम से हो रही परेशानी को नजरअंदाज कर देते है, शायद कप्तान साहब का आदेश होगा तो वहीं उखरी पुलिस चौकी के कर्तव्यनिष्ठ खाकीधारी शाम ढ़लते ही लठ लेकर पूरी सड़क बन कर देते है और जमकर वसूली में जुट जाते है पर जाम से जूझ रहे जनमानस की पीड़ा इन्हें नजर नहीं आती शायद ये भी कप्तान साहब के आदेश का पालन कर रहे है? तो वहीं कम उम्र के युवा झुंड बनाकर अवैध गतिविधियों और बदमाशी का खुलेआम प्रदर्शन कर रहे है यहाँ तक चाईना चाकू रख कर खुलेआम घूमते है लेकिन खाकीधारी इन दिशा विहीन युवकों, नाबालिकों पर कार्यवाही व चैकिंग अभियान नहीं चलाते आखिर ऐसा क्यों..? बदहाल कुरूप ओर अव्यवस्थित संस्कारधानी में सिर्फ वाहन चैकिंग के नाम पर खुलेआम वसूली हो रही है पर सड़क हादसों के जिम्मेदार भारी वाहन धड़ल्ले से नॉ—एन्ट्री में घुसकर सरेआम किसी न किसी निर्दोश को मौत के घाट उतार रहे है, पर वाह रे नियम कानून के रखवालों वास्तविक कारकों पर नजर बन्द करे बैठे है? संभवतः रसूखदारों के नाम से इनको खौफ लगता है?