जबलपुर: बीते दिन संस्कारधानी में युवा अधिवक्ता त्रिवेदी बंधुओं द्वारा एक पत्रकारवार्ता का आयोजन हुआ जिसमें अपूर्व त्रिवेदी, आशीष त्रिवेदी ने एक ऐसे मामले को उजागर किया जिससे शासकीय भर राजशाही व भ्रष्टाचार की गंध प्रदेश की शिवराज सरकार के राज में आंख से काजल चुराने की कला को जाहिर कर रही है, विदित हो मुख्यमंत्री जी भरे मंत्रों से सिंह गर्जना की भांति बोलते नजर आते हैं कि भ्रष्ट अधिकारियों की खैर नहीं क्योंकि शिवराज सिंह भ्रष्टाचारियों को बख्शेंगे नहीं? लेकिन इस पत्रकार वार्ता में जिस मामले का खुलासा हुआ वह बेहद चौंकाने वाला है महाकौशल क्षेत्र में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवा कर शासकीय सेवा का लाभ लिया जा रहा है कहा यह भी गया कि सक्षम अधिकारियों और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के द्वारा बिना जांच किए ही फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए? विडंबना ही कहेंगे जहां एक और अधीनस्थ साहब के आदेश के बिना पानी तक नहीं पीते फिर भला कैसे सक्षम अधिकारियों की आंख में धूल झोंकने में सफल हो गए, आर ओ तो यह भी लगाए गए कि इस अधिक धन लाभ प्राप्ति के साहसिक कार्य में उच्च अधिकारी, नेता व अन्य भी शामिल हैं अब बात जब नेताजी की आती है तो सर्वविदित है माननीय के आदेश का पालन करना उच्च से निम्न तक के शासकीय सेवकों का दायित्व बनता है? विदित हो कि महामहिम राष्ट्रपति ने मध्य प्रदेश की सूची क्रमांक 2 में बागड़ी और बागड़ी को अनुसूचित जाति के रूप में घोषित किया है और स्पष्ट किया है कि उपजाति राजपूत ठाकुर इसमें सम्मिलित नहीं है तो वही मध्यप्रदेश के महाकौशल व बुंदेलखंड में बागरी राजपूत ठाकुर बहुतायत हैं, जो अनुसूचित जाति की श्रेणी में नहीं आतेहै लेकिन कुछ लक्ष्मी उपासक शासकीय सेवकों द्वारा नियम कानून को दरकिनार कर जाति प्रमाण पत्र मूल तहसील से जारी ना करके गड़बड़झाला योजना के तहत अन्य तहसील से उलटफेर कर फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं? जिसमें कुंडम निवासी बागरी समाज के युवती का जाति प्रमाण पत्र एसडीएम अधारताल द्वारा बिना जांच पर के जारी किया गया है, कुंडम तहसील के ही अन्य बावरी जाति के युवक युवती के फर्जी जाति प्रमाण पत्र जबलपुर से जारी किए गए और इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शासकीय शिक्षक के रूप में इनकी नियुक्ति कर दी गई है? भ्रष्टाचार की एक और भारत जबलपुर के लोक निर्माण विभाग में स्थापित है जहां एससी वर्मा जैसे अन्य उच्च अधिकारी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उच्च पद पर पदस्थ हैं? विडंबना कहें या दुर्भाग्य जातिगत लाभ की चाह में फर्जी दस्तावेज बनवा कर शासकीय सेवाओं और योजनाओं का भरपूर लाभ लिया जा रहा है और सत्ता दी इस गंभीर मुद्दे के प्रति आंख बंद किए हुए हैं जिस तरह से इस फर्जी जाति प्रमाण पत्र का खुलासा त्रिवेदी बंधुओं द्वारा किया गया है वह शासकीय विभागों की भ्रष्ट कार्यप्रणाली को उजागर कर रहा है?