जबलपुर नवनीत दुबे- बीते कुछ दिनों से देखा जा रहा है कि भाजपाई सफाई अभियान पर विशेष जोर दे रहे हैं, ऐसा हो भी क्यों ना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जो स्वच्छ भारत का नारा और अभियान प्रारंभ किया है, मुद्दे की बात पर आते हैं सांसद राकेश सिंह जी की अगुवाई में इन दिनों शहर की पुरानी बाबड़ियों की सफाई का अभियान जोरों पर चल रहा है हालांकि वह पहलू है कि आम जनमानस को छोड़कर सांसद जी के समर्थक साफ-सुथरे परिधानों को धारण कर कतार बद्ध खड़े होकर तसला फावड़ा से गंदगी मुक्त बाबड़िया करने में पूर्ण निष्ठा के साथ लगे नजर आ रहे हैं, इसका प्रचार प्रसार सोशल मीडिया में सर्वाधिक दृष्टिगत हो रहा है, भाजपा नेता व नेत्रियां है सांसद जी के साथ कुछ घंटे तक साफ सफाई में लगे रहे लेकिन बाबड़ियों की हालत में कुछ ज्यादा अंतर नहीं आया और गंदगी के ढेर एक स्थान से उठकर दूसरे स्थान पर लगा दिए गए, विडंबना ही कहेंगे कि ताल-तलैया बाबड़ियों का शहर जबलपुर अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को विलुप्त होता देख रहा है? वह तो भला हो यहां के नेताओं का जो 15 अगस्त, 26 जनवरी या अन्य ऐसे ही किसी अवसर पर जागरूक होकर अपने समर्थकों के साथ समय-समय पर इस तरह का अभियान एक-दो घंटे चला देते हैं और समाचार पत्रों सोशल मीडिया पर खुद की पीठ थपथपाते नजर आते हैं, किंतु वास्तविकता की धरा है ताल तलैया और बाबड़िया जो थोड़ी बहुत बची हुई है, चीख-चीख कर अपनी बदहाली और दुर्दशा की दास्तां बयां करती नजर आती हैं, सियासती दांवपेंच में महारथी है सफेदपोश यह भली-भांति जानते हैं कि इनके इस तरह के अभियानों से जनमानस के बीच इनकी चर्चा बनी रहेगी और वैसे भी अब तो चुनावी संग्राम का बिगुल बज ही गया है तो जनता को लुभाने और कार्यकर्ताओं के बीच पुनः विशेष पहचान स्थापित करने इस तरह के आयोजन दो कुछ समय तक होते ही रहेंगे?