जबलपुर (नवनीत दुबे)। संस्कारधानी के विजयनगर स्थित शिव पार्क में आज अटल जी की प्रतिमा अनावरण का आयोजन हुआ और इस आयोजन में प्रमुख भूमिका का निर्वहन धीरज पटेरिया ने किया। धीरज का अटल जी के प्रति समर्पण और प्रतिमा स्थापना की सार्थक पहल ने सियासती गलियारों में हड़कंप की स्थिति का माहौल बना दिया है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि भाजपा के पितृ पुरुष पुरोधा भारत रत्न पण्डित अटल बिहारी बाजपेयी जी की की सुध शनै शनै भाजपाई सियासत के सूरमाओं की स्मृति में महज एक धुंध के रूप में बस बनी हुई है और आजतक किसी भी भाजपाई ने चाहे वह जबलपुर के विधायक हो, सांसद हो या दिग्गज भाजपाई सभी के सभी सिर्फ राजनीतिक मंचों से अटल जी के प्रति अपनी आस्था को व्यक्त करते रहे, लेकिन जमीनी स्तर पर स्वर्गीय बाजपेयी जी की एक अमिट छवि को जीवंतमान रखने विचार तक नहीं किया, खेर मुद्दे की बात पर आते है कि आज अटल जी के प्रतिमा अनावरण के आयोजन ने एक बात का संकेत तो दे दिया है कि, भाजपाई कद्दावरों जिनमें केंद्रीय राज्यमंत्री प्रह्लाद पटेल का विशेष रूप से शामिल होना धीरज विरोधी भाजपाई कद्दावरों की रातों की नींद उड़ा रहा है। तो वहीं भाजपा के एक बहुत बड़ा धड़ा धीरज के साथ खड़ा नजर आया जिसमें पूर्व सांसद श्रीमती जयश्री बनर्जी का आयोजन में उपस्थित रहना बिना कहे सब कुछ बोल गया। वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा साहब जो श्रीमती बनर्जी के दामाद है संभवतः ये कयास भी लगया जा रहा है कि धीरज पटेरिया के समर्थन में कई कद्दावर भाजपाई जिनकी दिल्ली तक में खासी छबि है वो स्थानीय दिग्गजों के समीकरण पर पानी फेर सकते है तो वहीं चर्चा ये भी है कि धीरज पटेरिया का जनाधार आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तरमध्य में ऊंट किस करवट बैठेगा ये निर्धारित कर सकता है, तो वहीं विरोधाभास ये भी है कि धीरज भाजपा के बागी है। ऐसे में उन्हें दावेदार बनाना पार्टी में फूट का कारण बन सकता है लेकिन सियासती में एक बात विशेष तवज्जों के साथ कही जाती हैं जिसके पास जनाधार ओर कार्यकर्ताओं की भीड़ हो वहीं अपना स्तंभ स्थापित करता है। अब ये देखना रोचक होगा कि भारत रत्न अटल जी के प्रतिमा अनावरण का सियासत के गलियारों में क्या प्रभाव पड़ता है। क्योंकी प्रदेश के मुखिया शिवराज जी की पहली पसंद आज भी पूर्व राज्यमंत्री ही है जो उत्तरमध्य से सत्ता का सुख दो बार ले चुके है?