जबलपुर। किरायानामा और गृहस्थी के सामान बिना आरोपी बनाए गए जबलपुर निवासी आनंद वाशिमकर को विशेष न्याधीश सुजीत कुमार सिंह की अदालत ने राहत दे दी। उसे गांजा रखने के मामले में दोषमुक्त कर दिया। मामले की सुनवाई के दौरान आरोपित आनंद वाशिमकर की ओर से अधिवक्ता राजेश यादव, ममता यादव, अरुण यादव और अमित यादव ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि उनके पक्षकार के विरुद्ध दुर्भावनावश झूठा प्रकरण दर्ज किया गया था। जिस दिन और समय पर घटना होना बताई गई, उस दिन व समय पर वह कुंडम थाना अंतर्गत बघराजी में था ही नहीं। इसके बावजूद पुलिस ने कहानी गढ़ ली कि आनंद वाशिमकर को कुंडम बघराजी निवासी रतन के साथ गांजा रखने के मामले में आरोपित बनाया गया है। जिस कमरे में गांजा बरामद होना रेखांकित किया गया, वह भूसे से भरा था। इसके बावजूद पुलिस ने दावा कर दिया कि आनंद उसी कमरे में किराए से रहता था और गांजे के अवैध व्यवसाय में संलग्न है। सवाल उठता है कि जब उस कमरे को किराए पर देने संबंधी किरायानामा ही नहीं था और वहां आनंद का कोई गृहस्थी का सामान भी नहीं था, तो आरोपित कैसे बना लिया। दरअसल, हकीकत यह है कि एक अक्टूबर 2021 को यह मामला दर्ज करने से पूर्व आनंद का पुलिस से किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। उसी बात का बदला लेने के लिए उसे झूठे प्रकरण में फंसाया गया है। मुखबिर की सूचना पर दबिश जैसी कहानी रची गई है। विशेष अदालत ने तर्कों से सहमत होकर राहत प्रदान कर दी। दोषमुक्त किए जाने की राहत का एक महत्वपूर्ण आधार जांच अधिकारी का जांच प्रक्रिया में मूलभूत सिद्धांतों का पालन न करने संबंधी बयान भी बना। साथ ही अभियोजन भी दोष सिद्धी लायक तथ्य पेश करने में नाकाम रहा।