जबलपुर (नवनीत दुबे)। बीते कुछ समय से संस्कारधानी में अपराधों का ग्राफ निरंतर बढ़ रहा है,जिसे देखते हुए यही प्रतीत होता है कि अपराध को अंजाम देने वाले युवाओं में पुलिस और कानून व्यवस्था का ख़ौफ़ नही है, ये कहना भी अतिशयोक्ति नही होगा कि अपराधी प्रवत्ति के युवाओं को ये बात भलीभांति पता है कि कानूनी प्रक्रिया के चलते ही सहज सरल तरीके से न्यायलय से जमानत भी मिल जाती है? और अपराध घटित करने के बाद क्षेत्र में रुतबा एकतरफा बन जाता है, खैर मुद्दे की बात पर आते है इन दिनों युवाओं और किशोरों में गैंगस्टर बनने और क्षेत्र में वजनदारी कायम रखने का जोश और चस्का चढ़ा है, इसी की वानगी है कि गली चौराहों पर शाम के समय खड़े होने वाले युवाओं के समूहों में अधिकतर युवा जेब मे चाइना चाकू या कोई शस्त्र रखे हुए होते है और सोने पे सुहागा बात तो ये है कि चाकू रखने का कलेजा जगाने के लिए शराब का नाश दिल दिमाक पर चढ़ा होना चाहिए तो नियम की इस परिपाटी का पालन करते हुए शराब भी पिये होते है, बस फिर क्या किसी भी आम सभ्रांत को चमकोली देने अड़ी पटकने ओर अपनी वजनदारी स्थापित करने का सामाजिक कार्य पूर्ण ततपरता से करने में जुट जाते है युवाओं के इन समूहों में दो से चार रघु भाई तो होते ही है बाकी डेढ़ फुटिया,विडंबना ही कहेंगे के इन्ही स्थानों पर खाखी धारी भी गश्त करते है पर मजाल है इन छुटभैये रघुभइयो की तलाशी ले और बेवजह समूह बनाकर खड़े होने पर कार्यवाही करें? सर्वविदित है थाना स्तर के अधिकांश अधीनस्थ पुलिस कर्मी सब जानकर भी अनजान बने रहते है और सिर्फ किसी न किसी तरीके से उगाही पर ही कर्तव्यनिष्ठा केंद्रित रखते है? विडंबना कहे या दुर्भाग्य के थाना स्तर के थाना प्रभारी से लेकर आरक्षक तक बढ़ते अपराधों के कारक ये रईसजादे युवा जो जेब मे धड़ल्ले से चाकू रख कर घूमते है और शराब के नशे में अपना रौब झाड़कर भय का माहौल बनाते है और इस दिशा में थाना स्तर के अधिकारी आंख बंद किये हुए होते है ?ये कहना भी अतिशयोक्ति नही होगा के यदि पुलिस कप्तान अगर कठोरतम आदेश पारित कर थाना प्रभारियों को ये दायित्व दे के गली चौराहे में खड़े युवाओं के समूहों की तलाशी ली जाय तो जो तस्वीर सामने आएगी वह शहर में बढ़ते हुए अपराधों ओर आपराधिक मानसिकता की बढ़ती प्रवत्ति की हकीकत बया कर देगी!