सम्बंधित अधिकारी को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता, अवमानना याचिका में हाईकोर्ट का आदेश
साईडलुक, जबलपुर। मप्र उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति अवनीन्द्र कुमार सिंह ने याचिकाकर्ता सुरेश प्रसाद दुबे की लंबित अवमानना याचिका में सुनवाई की अगली तिथि में याचिकाकर्ता की प्रतिकूल गोपनीय चरित्रावली लिखने वाले संबंधित अधिकारी को उच्च न्यायालय के समक्ष व्व्हीसी या व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने निर्देशित किया है।
हाईकोर्ट ने यह आदेश इस टिप्पणी के साथ पारित किया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि कर्मचारी की सीआर (गोपनीय चरित्रावली) लिखने के पीछे के दर्शन को समझने के लिए याचिकाकर्ता की गोपनीय चरित्रावली लिखने वाले संबंधित अधिकारी का प्रतिनिधित्व और टिप्पणियाँ प्राप्त करना आवश्यक है। प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों में संबंधित अधिकारी को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है।
उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी ने मध्यप्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्थान के विरुध्द उसकी पदोन्नति नहीं किये जाने की कार्यवाही को हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए आदेशित किया था कि असंप्रेषित प्रतिकूल गोपनीय चरित्रावली तथा ऐसी लघु शास्ति जो पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक के दिन प्रचलित नहीं थी, के आधार पर याचिकाकर्ता को पदोन्नति हेतु अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को असम्प्रेषित प्रतिकूल चरित्रावली व लघु शास्ति को विचारित किये बिना पदोन्नति हेतु रिव्यू डीपीसी बुलाने आदेशित किया था।
इसके बाद रिव्यू डीपीसी में पुनः याचिकाकर्ता को असंप्रेषित प्रतिकूल गोपनीय चरित्रावली के आधार पर पदोन्नति से वंचित कर दिया जिस पर याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका प्रस्तुत की जिस पर उच्च न्यायालय ने कार्यवाही को अवमाननापूर्ण इंगित करते हुए प्रबन्ध निदेशक, मध्यप्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्थान, केएस टेकाम को शपय पत्र प्रस्तुत करने कहा था जिसके उपरांत पुनः एक ख्यूि डीपीसी बुलाई व याचिकाकर्ता को और पुरानी प्रतिकूल गोपनीय टिप्पणियों के आधार पर पदोन्नति के योग्य नहीं माना जिसके संबंध में याचिकाकर्ता ने न्यायालय के सामने यह तर्क दिया कि उक्त गोपनीय टिप्पणियां भी कभी याचिकाकर्ता को संप्रेषित नहीं की गईं थीं। इस परिप्रेक्ष्य में हाईकोर्ट ने उक्त आदेश पारित किया है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता असीम त्रिवेदी, सुशील कुमार तिवारी, आनंद शुक्ला, विनीत टेहेनगुरिया ने पैरवी की।