जबलपुर। जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि जबलपुर में चना फसल की चार वर्षीय (2016-2020) शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्यआतिथि अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. धीरेंद्र खरे ने अपने उद्बोधन में चना के आनुवांशिक स्तर पर सुधार की असीम संभावना पर बल दिया। साथ ही उन्होंने चने में लगने वाले विभिन्न रोगों पर प्रतिरोधक किस्मों को विकसित करने और मैकेनिकल हार्वेस्टिंग हेतू उन्नत किस्मों को बनाने पर जोर दिया है। संगोष्ठी में सेंट्रल जोन के अंतर्गत आने वाले 16 केंद्रों के चना वैज्ञानिकों ने अपने चार वर्षों के शोध कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में चना अनुसंधान की विधिवत समीक्षा हेतु भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. जीपी दीक्षित द्वारा गठित समिति की अध्यक्षता कर रहे, डॉ. एसके शर्मा, पूर्व कुलपति हिमाचल प्रदेश कृषि विवि, पालमपुर और क्यूआरटी के सदस्य डॉ. डीपी सिंह, डॉ. डीके शर्मा, डॉ. डीवी आहूजा एवं अन्य ने ऑनलाइन माध्यम से अपने अनुभवों को चना अनुवांशिकी एवं सुधार पर विवेचना प्रस्तुत किए।