भाई भतीजावाद में फंसी भाजपा?
जबलपुर (नवनीत दुबे)। वैसे तो समूचे मध्यप्रदेश में निकाय चुनाव का बिगुल बजते ही पार्षद से लेकर महापौर तक पद के प्रत्याशियों की दावेदारी अत्यधिक सक्रिय हो गई है और दोनों ही राजनीतिक दल भाजपा कांग्रेस के दावेदार अपने अपने आका के चरणों में दंडवत है, और टिकट प्राप्ति का वरदान मांग रहे हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी द्वारा महापौर प्रत्याशी के रूप में जगत बहादुर सिंह अनु को दावेदार घोषित करके भाजपाई खेमे में हलचल मचा दी है सर्वविदित है अन्नू सिंह साहब छवि व सहज व्यक्तित्व के चलते जनमानस के बीच खासी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं साथ ही वैष्णो देवी यात्रा के नाम से भी अनु का प्रत्येक वर्ग में जनाधार है अब ऐसे में भाजपा के सामने बड़े कशमकश की स्थिति है कि अनु के मुकाबले में किसे दावेदार बना कर मैदान में उतारा जाए जो कांग्रेस को शिकस्त देकर पुनः नगरी निकाय में भाजपा की विजय पताका लहरा सकें हालांकि भाजपा द्वारा अभी महापौर प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं किया गया है क्योंकि चर्चा यह है कि महापौर प्रत्याशी के नाम पर आखिरी मुहर स्वयंसेवक संघ लगाएगा ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भाई भतीजावाद या समर्पण निधि के चलते अगर किसी व्यक्ति विशेष का नाम घोषित किया जाता है तो इस बार निकाय चुनाव में भाजपा को पटक नहीं मिल सकती है क्योंकि कोरोनावायरस भयावह यादें आज भी जनमानस के हृदय में वेदना का प्रतिफल एहसास करा रही है, हर मुद्दे की बात यह है कि जगत बहादुर के नाम को लेकर आम जनमानस में एक विशेष आकर्षण देखा जा रहा है और कोरोनावायरस किए गए समाज सेवा मानव सेवा को भी प्राथमिकता दी जा रही है तो वही यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भाजपा के स्थानीय विधायक पार्षद व एमआईसी सदस्य कोरोनावायरस दी में सिर्फ फोटो खिंचवाने तक ही सीमित रहें जबकि जन सेवा के कार्यों में जमीनी कार्यकर्ता सक्रिय होकर कार्य करते नजर आए वैसे आज या कल में भाजपा महापौर प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर सकती है साथ ही भाजपा कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशियों की सूची भी जाहिर कर दी जाएगी किंतु फिर वही प्रश्नवाचक भितरघात और वर्चस्व की सोच से ग्रसित कांग्रेस के स्थानीय दिग्गज अनु सिंह का खेल बिगाड़ सकते हैं तो वहीं भाजपा द्वारा सशक्त प्रत्याशी को मैदान में उतारा जाना महंगा और हनी पद साबित हो सकता है?