जबलपुर, डेस्क। केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने एक महत्वपूर्ण बिंदु निर्धारित करते हुए कहा कि माता-पिता के जीवित रहते या उनकी मृत्यु के बाद उनकी पुत्री का तलाक होता है तो वह फैमिली पेंशन पाने की पूरी हकदार है। इस मत के साथ कैट के न्यायिक सदस्य रमेश सिंह ठाकुर की एकलपीठ ने गन कैरिज फैक्टरी प्रबंधन को याचिकाकर्ता निर्मला राजपूत को पेंशन देने पर विचार करें। कैट ने इसके लिए जीसीएफ प्रबंधन को 8 सप्ताह का समय दिया है।
जीसीएफ इस्टेट पनेहरा में रहने वाली निर्मला राजपूत ने कैट में याचिका दायर कर बताया कि उसके पिता फैक्टरी में सुपरवाइजर थे। उनकी मृत्यु फरवरी 1985 को हुई। इसके बाद मां को फैमिली पेंशन मिलने लगी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीपक साहू ने बताया कि वर्ष 2009 में निर्मला का राजीनामा के तहत तलाक हो गया। उसके बाद से वह अपनी मां के साथ रहने लगी। मई 2017 में मां की मृत्यु हो गई।
प्रबंधन ने किया था आवेदन खारिज
याचिकाकर्ता ने जीसीएफ प्रबंधन में आवेदन पेश कर फैमिली पेंशन की मांग की। फैक्टरी प्रबंधन द्वारा आवेदन खारिज करने पर कैट में याचिका दायर की गई। दलील दी गई कि याचिकाकर्ता तलाक के बाद से ही मां पर आश्रित थी, ऐसी स्थिति में वह पेंशन पाने की हकदार है। सुनवाई के बाद कैट ने सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) नियम 1972 के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता वर्ष 2009 से ही अपनी माता के साथ रह रही थी। 2018 में फैमिली कोर्ट से भी बेटी का विधिवत तलाक हो गया है, ऐसे में वह फैमिली पेंशन पाने की हकदार है।