तत्कालीन मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद भी सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता और उसकी बहन की स्कूल फीस जमा नहीं किये जाने से जुड़ा मामला
जबलपुर। राज्य शासन की ओर से एक जवाब में कहा गया कि पॉक्सो एक्ट के तहत सभी उम्र की दुष्कर्म पीड़िताओं के संरक्षण के लिए नीति बनाई गई है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने सरकार की ओर से पेश पॉलिसी के रिकॉर्ड में नहीं आने पर मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिये बढ़ा दी।
तत्कालीन मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद भी सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता तथा उसकी बहन की स्कूल फीस जमा नहीं किये जाने के संबंध में अखबार में खबर प्रकाशित हुई थी। उक्त खबर को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस ने संज्ञान में लेते हुए मामले की सुनवाई के निर्देश दिये थे।
मंदसौर जिले में जून 2018 को सात साल बच्ची का स्कूल से दो लोगों ने अपहरण कर उसके साथ ज्यादती की थी। आरोपियों ने उसका दो बार गला काटकर उसे मरने के लिए छोड़ दिया था। डॉक्टरों ने बच्ची के कई ऑपरेशन कर उसे बचा लिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीडि़ता और उसके परिवार से वादा किया था कि सरकार उसकी और उसकी बहन की शिक्षा का ख्याल रखेगी।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने आपने आदेश में कहा था कि कि एक नाबालिग बलात्कार पीडि़ता राज्य द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद भी उत्पीडऩ से गुजर रही है। यह काफी चौंकाने वाली स्थिति है। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि पॉक्सो एक्ट की धारा 4 व 6 के तहत पीडि़त के संरक्षण के संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को आदेश जारी कर दिये गये है।