जबलपुर (नवनीत दुबे)। संस्कारधानी में पद आसीन हुए नवागत पुलिस कप्तान संपत उपाध्याय अपने अधीनस्थों व थाना स्तर के जिम्मेदारों को कानून व्यवस्था का पालन और अपराधियों में खाकी का ख़ौफ़ भरने आय दिन बैठक कर रहे है, और असमाजिक तत्वों व अपराधियो पर नकेल कसने नई नई रणनीति बना वास्तविक धरा पर लागू करने का पूर्णतः मन बनाकर अधीनस्थों को कड़ाई से पालन करने दिशा निर्देश दे रहे है, पर हाय री विडंबना अपराधी तत्व उतना ही उनके जनहितकारी मंसूबो पर पानी फेर कर धड़ल्ले से अपराधों को अंजाम दे रहे है?
ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि संस्कारधानी की लचर कानून व्यवस्था का पूर्ण लाभ अपराधी तत्व उठा रहे है साथ ही खाकी धारियों की अपराध की प्रवत्ति में लिप्त गुंडे बदमाशो से मधुर ओर धनलष्मी से तिलक करवाने के हार्दिक व्यवहार है?
हालांकि ऐसा कतई नही के हर खाखी धारी के अपराधी तत्वों से मधुर व्यवहार हो कुछ खाकी धारियों के लिए वर्दी की अस्मिता ओर प्रतिष्ठा सर्वोपरि है ,मुद्दे की बात पर आते है पुलिस कप्तान उपाध्याय जी नेक मंशा के चलते कानून का डंडा कड़ाई से चलवाने कर्तव्यनिष्ठ है, लेकिन विडंबना कहे या दुर्भाग्य कि सफेदपोश दिग्गजों की जी हुजूरी ओर राजनिरिक बेड़ियों में जकड़ा पुलिस तंत्र सिर्फ छुटभैये गली छाप बदमाशो पर कानून का डंडा चलकर खुद ही अपनी पीठ थपथपा लेते है।
जबकि अपराध के बड़े मगरमच्छों पर हाथ डालने में खाखीधारियो की सांस फूलने लगती है? कारण सर्वविदित है सियासी रसूख की कृपाछाँव? इन दिनों संस्कारधानी के कुछ क्षेत्रों में असमाजिक तत्व लफंटूओ की गैंग बनाकर खड़े रहते है विशेषतः विजय नगर,अहिंसा चोक चौपाटी, सिविक सेंटर चौपाटी, बलदेवबाग, दमोहनाका, मदन महल इत्यादि थाना क्षेत्रों में युवकों के समूह खड़े होकर खुलेआम शराब खोरी, धूम्रपान, छेड़खानी का कार्य करते है संभवतः इन्ही महानुभावों द्वारा लूट की घटनाओं को भी अंजाम देने की रणनीति बनाकर वारदात की जाती हो? पर मजाल है थाना प्रभारी या उनका स्टाफ इन क्षेत्रों में खड़े असमाजिक तत्वों को कानूनी पाठ भलीभांति सिखाया, हास्यदपड ही कहेंगे कि समूह में खड़े असमाजिक लोगो को देखकर भी खाखी धारी अनदेखा करके निकल जाते है?
ये कहना भी अतिश्योकि नही होगा के अठारह से 28 वर्ष के अधिकांश रईसजादे अपनी जेब मे चाकू फसकर रखते है और शराब के नशे में धुत होते है, शायद ये इस बात को मन मस्तिष्क पर स्थापित कर चुके है के धनलष्मी से खाकी का तिलक कर दो तो सबसे बड़े निर्दोष ओर सरल शिक्षित इन्ही को दर्शा दिया जएगा, कलम का आशय खाकी की गरिमा को धूमिल करना नही अपितु पुलिस कप्तान द्वारा अपराध नियंत्रण और असमाजिक तत्वों में पुलिस का ख़ौफ़ की जो मंशागत रणनीति बनाई जा रही है।
वह पूर्णतः जमीनी स्तर पर सक्रिय ओर सार्थक हो इसी आशय से थाना स्तर के अधीनस्थ कर्मियों की लचर कार्य प्रणाली के चलते पुलिस कप्तान के निर्देशों के बावजूद भी असमाजिक तत्वों के हौंसले बुलंद है ओर अपराधी तत्व बेखोफ अपराधों को अंजाम दे रहे है।