जबलपुर। कुटुम्ब न्यायालय के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश विजय सिंह कावछा की अदालत ने पति से अलग रहकर भरण पोषण की मांग करने वाली महिला का आवेदन निरस्त कर दिया है। अदालत ने पूरे मामले का अवलोकन करने पर पाया कि आवेदिका स्वयं पति के साथ नहीं रहना चाहती और वैभवपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहीं है। जिसके बाद न्यायालय ने उक्त आवेदन निरस्त कर दिया।
दरअसल यह मामला जबलपुर निवासी जया लोधी की ओर से दायर किया गया था। जिसमें कहा गया था कि उनका विवाह 28 जून 2021 को शहपुरा भिटौनी निवासी डॉ. देवी सिंह ठाकुर के साथ संपन्न हुआ था।
जिसमें उसके परिजनों ने दस लाख रुपये का दहेज दिया था। आरोप है कि उसके बाद पति देवी सिंह कार खरीदने रुपयो की मांग करने लगा, इतना ही नहीं आवेदिका के पिता के निधन के बाद घर जमाई बनकर रहने लगा और उनकी संपत्ति हड़प करने की कोशिश करने लगा। वहीं अनावेदक की ओर से कहा गया कि उसने प्रेम विवाह किया था।
आवेदिका के चचेरे भाईयों ने उसके साथ मारपीट कर उसे भगा दिया था। इतना ही नहीं जिस हिसाब से 25 हजार रुपये प्रतिमाह भरण पोषण की मांग की गई है, वह झूठ है, क्योकि वह प्राइवेट जॉब करता है और उसका वेतन सिर्फ आठ हजार रुपये है। जबकि आवेदिका घर में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है और एक मारूति वैन भी है, जो कि बच्चों को स्कूल लाने ले जाने में लगी हुई है, जिससे भी आवेदिका को दस हजार रुपये प्रतिमाह की इंकम होती है। इसके साथ ही पेश किये गये फोटोग्राफ्स व अन्य साक्ष्यों का अवलोकन करने में न्यायालय ने पाया कि आवेदिका वैभवपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहीं है और स्वयं ही अपने पति के साथ रहना नहीं चाहती। जिसके बाद न्यायालय ने उसके भरण पोषण संबंधी आवेदन को खारिज कर दिया। मामले में अनावेदक देवी सिंह की ओर से अधिवक्ता संतोष पटेल ने पैरवी की।