जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने बड़ी राहत देते हुए सभी पात्र दिव्यांग अभ्यर्थियों को सिविल जज जूनियर डिवीजन (प्रवेश स्तर) की मुख्य परीक्षा 2022 में शामिल करने की अनुमति दे दी। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने हाईकोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिए िक सभी पात्र अभ्यर्थियों को ई-मेल पर इस संबंध में सूचना दें। इसके अलावा समाचार पत्रों में प्रकाशन के अलावा मप्र हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर भी सूचना प्रकाशित करें। कोर्ट ने मामले में हाईकोर्ट प्रशासन को विस्तृत जवाब पेश करने के निर्देश दिए। दिव्यांग अभ्यर्थियों का परिणाम हाईकोर्ट के अंतिम फैसले से बाध्य रहेगा।
भोपाल निवासी अंतरा सिसोदिया सहित अलग-अलग राज्यों के कई उम्मीदवारों की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि दिव्यांगजन अभ्यर्थी हेतु एक पृथक से मेरिट लिस्ट जारी नहीं की गयी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता व आर्यन उर्मलिया ने बताया कि दिव्यांग अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग के समतुल कट-ऑफ निर्धारित कर एक सैकड़ा से अधिक दिव्यांगजनों को प्रवेश परीक्षा से अलग कर दिया गया। अंतरिम आदेश के तहत रजिस्ट्रार जनरल व उच्च न्यायालय परीक्षा विभाग को आदेशित किया की यदि दिव्यांगजनों को न्यनतम अंक (90 अंक) से अधिक प्राप्त हुए हैं तो उनकी अलग से मेरिट लिस्ट बनाते हुए मुख्य परीक्षा में शामिल करें।
मप्र हाईकोर्ट द्वारा सिविल जज क्लास-1 के चयन हेतु परीक्षा कराई जा रही है। मुख्य परीक्षा 31 मार्च को होना है। 12 मार्च को स्क्रीनिंग चरण की परीक्षा के परिणाम आये, जिसके पश्चात मात्र एक दिव्यांग अभ्यर्थी का चयन हुआ। दलील दी गई िक एक सैकड़ा से अधिक इसी श्रेणी के अभ्यर्थियों को अपात्र करते हुए मुख्य परीक्षा में सम्मिलित होने का अवसर नहीं दिया गया। दिव्यांगजनों के विशेष अधिकार अधिनियम, 2016 के अंतर्गत उन्हें 6 फीसदी आरक्षण सभी भर्तियों में प्राप्त है। याचिका में अन्य राज्यों की सिविल जज परीक्षा जैसे की दिल्ली, बिहार का हवाला देते हुए कहा गया कि अधिनियम, 2016 के अंतर्गत एक पृथक वरीयता सूची बनाते हुए 1:10 गुना अनुपात में शामिल किया जाता है। मध्य प्रदेश में ऐसा नहीं किया गया।