जबलपुर (नवनीत दुबे) | चर्चा है कि पुलिस कप्तान सिद्धार्थ बहुगुणा कानून व्यवस्था के नियमों का पालन करवाने के लिए पूर्णता तटस्थ हैं और अधीनस्थों को आदेशित भी किया है, किंतु विडंबना ही कहेंगे कि कप्तान साहब के आदेश में अधीनस्थ लाभान्वित करने वाले आदेशों को ज्यादा तवज्जो देते हैं? बाकी रही कानून व्यवस्था अपराध पर अंकुश लगाने वाली बात तो इस संबंध में कितने सजग है यह सर्वविदित है, मुद्दे की बात पर आते हैं इन दिनों संस्कारधानी में जहां देखो वहां पुलिसकर्मी वाहन चेकिंग लगाकर राजस्व में वृद्धि के साथ ही निजी लाभ भी ले रहे हैं लेकिन दुर्भाग्य कहेंगे की चेकिंग के नाम पर चल रही वसूली खाकी की गरमा दागदार कर रही है, विदित हो कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के चलते शहर के हाल बेहाल हैं खास तौर पर जहां फ्लाईओवर निर्माण का कार्य चल रहा है ऐसे में खरीदारी आगा चौक रानीताल जैसे मार्ग पर वाहन चेकिंग लगाकर आमजन को प्रताड़ित कर रहे हैं? ऐसी विषम परिस्थितियों में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इस वाहन चेकिंग के चलते किसी निर्दोष को अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है, देखा जाता है जिस तरह से पुलिसकर्मी छावनी बनाकर वाहन चालकों को पकड़ते हैं उसे देखते हुए अन्य वाहन चालक गिरते पड़ते खाकीधारियों से बचकर भागता है आखिर भागे भी क्यों ना बोले से भैया अगर पकड़ गए तो कम से कम 100 रुपये का तिलक लगाना पड़ेगा, इस भागमभाग के चक्कर में बधाई आवागमन की भेंट चढ़कर प्राण गवा ना कोई बड़ी बात नहीं है, हास्यास्पद ही कहेंगे की सवारी ऑटो की खुलेआम धमाचौकड़ी ओवरलोडिंग इन कर्तव्यनिष्ठ खाकर धारियों को दृष्टिगत ही नहीं होती और ना ही भारी वाहन हाईवा डंपर कल लापरवाही चालन इन्हें नजर ही नहीं आता, आखिर आएगा भी कैसे क्योंकि हाईवा डंपर रसूखदार ओके जो हैं इन पर कार्यवाही की तो सियासत दारू की वक्त दृष्टि का सामना करना पड़ेगा और रही सवारी ऑटो की धमाचौकड़ी ओवरलोडिंग तो स्पष्ट है कि सब का खर्चा बंधा हुआ है, साथ ही माननीय के कृपा पात्र हैं ये ऑटो चालक अब ले देकर रह जाता है दोपहिया वाहन चालक तो ना तो वह रसूखदार है और ना ही माननीय का कृपा पात्र इसलिए नियम कानून का पाठ पढ़ा कर इनसे वसूली की जाती है, सोचने पहलू है कि हेलमेट के नाम पर जिस तरह से आमजन को परेशान किया जा रहा है, क्या पुलिस कप्तान को यह पीड़ा दृष्टिगत नहीं हो रही शहर के प्रत्येक थाना क्षेत्र में सुबह दोपहर शाम चेकिंग लगाकर पुलिसिया रौब झाड़ते हुए दो तरह की चालानी कार्रवाई की जा रही है जबकि बढ़ते अपराध असामाजिक तत्वों के झुंड में लचर यातायात व्यवस्था के प्रति कर्तव्य निष्ठा ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है?