जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम आदेश में साफ किया है, कि राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेशों को संबंधित मप्र उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। दो दशक पूर्व मप्र उच्च न्यायालय ने भी ऐसा ही आदेश पारित किया था। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे ने बताया कि 1999-2002 के बीच चले मामले में लकी फारवडिंग व अन्य मामलों में मप्र उच्च न्यायालय ने 7 अक्टूबर 2002 को निर्णय पारित किया था। जिसमें कहा था, कि काज आफ एक्शन वाले दायरे के उच्च न्यायालय में कठघरे में रखा जा सकता है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता पुष्पेंद्र सिंग व अनावेदकों की ओर से अधिवक्ता अजीत सिंग ने पैरवी की थी। उच्च न्यायालय में दलील यह दी गई थी, कि संविधान के अनुच्छेद-227 के अंतर्गत आयोग एक ट्रिब्यूनल है, अत: उसके फैसलों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। उपभोक्ता मंच के एड. वेद प्रकाश अधौलिया, प्रभात वर्मा, एड. विनोद सिसोदिया ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।