साईडलुक, जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने पिपरिया एक पारिवारिक जमीन का पुन: सीमांकन करने के आदेश दिए। जस्टिस जीएस आहलूवालिया की एकलपीठ ने सभी पक्षों को तहसीलदार के समक्ष 25 मई को उपस्थित होने के निर्देश दिए। कोर्ट ने तहसीलदार को कहा कि वे 30 मई को सीमांकन की तिथि तय करें और 15 जून तक अपना फैसला दें। किसी भी पक्षकार को अब नोटिस भेजने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि तय तिथि पर कोई पक्षकार हाजिर नहीं होता है तो वह स्वयं जवाबदार होगा और उसका दावा करने का अधिकार समाप्त हो जाएगा। कोर्ट ने कहा कि सीमांकन कार्रवाई और अंतिम निर्णय आने तक कब्जा हटाने की कार्रवाई पर रोक रहेगी।
पिपरिया निवासी भाईजी गूजर और हरिकिशन गूजर की ओर से अधिवक्ता के के पांडेय, कौशलेश पांडेय और सिद्धार्थ पांडेय ने बताया कि याचिकाकर्ता एक संयुक्त परिवार के सदस्य हैं और 50 साल पहले संपत्ति का बंटवारा हो गया था। वर्ष 2007 में पुरुषोत्तम हरिकिशन ने सीमांकन के लिए आवेदन लगाया एवं याचिकाकर्ताओं ने भी सीमांकन के लिए आवेदन लगाया।
दलील दी गई कि 17 अप्रैल 2014 को पुरुषोत्तम व हरिकिशन के आवेदन पर तहसीलदार, पटवारी व आरआई द्वारा याचिकाकर्ता को बिना सूचना दिए सीमांकन कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता का कब्जा हटाने तहसीलदार के समक्ष आवेदन दे दिया। याचिकाकर्ता को कब्जा हटाने का आदेश दे दिया गया। याचिकाकर्ता के आवेदन पर अनुविभागीय अधिकारी ने तहसीलदार को दोबारा सीमांकन का आदेश दिया, लेकिन अनावेदकों ने कमिश्नर और राजस्व मंडल से अपने पक्ष में आदेश ले लिया। इसलिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई।