जबलपुर। संभागायुक्त ने जांच प्रक्रिया का पालन किए बिना ग्राम रोजगार सहायक की सेवा समाप्ति के कलेक्टर द्वारा जारी आदेश पर रोक लगा दी। कमिश्नर कोर्ट ने निचली अदालत का मूल रिकार्ड पेश करने के निर्देश भी दिए।
मंडला जिले की ग्राम पंचायत औरई में पदस्थ ग्राम रोजगार सहायक पवन कुमार ठाकुर को आर्थिक अनियमितता के चलते सीईओ जिला पंचायत ने सेवामुक्त कर दिया था, यह मामला मप्र उच्च न्यायालय पहुंचा। आवेदक की ओर से अधिवक्ता सुशील मिश्रा ने बताया कि सीईओ ने अधिकारविहीन आदेश पारित किया है। नियमानुसार ये अधिकार कलेक्टर को प्रदत्त है। उच्च न्यायालय ने मामला कलेक्टर मंडला को रिमांड किया। कलेक्टर ने केवल एक नोटिस जारी किया, जवाब आने पर पुन: सेवा समाप्ति का आदेश बहाल कर दिया। अधिवक्ता मिश्रा ने कमिश्नर कोर्ट को बताया कि नियमानुसार ना तो प्रकरण पंजीबद्ध किया गया और न ही आवेदक को आरोप पत्र दिया गया। इसके अलावा प्रक्रिया के तहत गवाही, अंतिम तर्क और आवेदक को सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया। दलीलों को सुनने के बाद कमिश्नर कोर्ट ने कलेक्टर के आदेश पर रोक लगा दी।