जबलपुर (सत्यजीत यादव)। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ ने व्यावसायिक शिक्षा केंद्र अंतर्गत अंशकालीन सेवा दे चुके आठ याचिकाकर्ताओं के हक में राहतकारी आदेश पारित किया। इसके अंतर्गत उन्हें राज्य शासन के 1998 के परिपत्र की रोशनी में प्रयोगशाला सहायक के पद पर नियुक्ति प्रदान करने के निर्देश दिए गए।
जब निर्धारित अवधि निकलने के बावजूद आदेश का पालन सुनिश्चित नहीं हुआ तो अवमानना याचिका दायर हुई। जिस पर सुनवाई करते हुये कोर्ट ने तीन माह में नियुक्ति न देने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दे दी। जिसका यह असर हुआ कि आदेश निकालकर बालाघाट निवासी अरविंद सोनवाने सहित आठ याचिकाकर्ताओं के लिए प्रयोगशाला सहायक के पद सृजित कर नियुक्ति दे दी गई।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुधा गौतम ने बताया कि याचिकाकर्ता व्यावसायिक शिक्षा केंद्र अंतर्गत अंशकालीन सेवा दे चुके हैं। केंद्र को बंद किए जाने के साथ ही सभी की नौकरी चली गई। इस वजह से बेरोजगार किए जाने के विरुद्ध मप्र राज्य प्रशासनिक अधिकरण के समक्ष याचिका दायर कर दी गई। मप्र राज्य प्रशासनिक अधिकरण बंद होने के बाद उनका मामला उच्च न्यायालय स्थानांतरित हो गया।
राज्य शासन ने 1998 में परिपत्र निकालकर व्यवस्था दी कि व्यावसायिक शिक्षा केंद्र अंतर्गत अंशकालीन सेवा दे चुके बेरोजगारों को प्रयोगशाला सहायक के पद पर नियुक्ति दी जाएगी। लेकिन याचिकाकर्ताओं को 7 जुलाई 2007 की नई नीति का हवाला देकर वंचित रखा गया। जिसके अंतर्गत प्रयोगशाला सहायक के 260 सभी पद समाप्त कर दिए गए थे।
इस पर उच्च न्यायलय ने साफ किया कि इस तरह पुराने परिपत्र वाली नीति के निरस्त हुए बिना बाद की नीति के अंतर्गत प्रयोगशाला सहायक पद पर नियुक्ति से वंचित नहीं कर सकते।