साईडलुक, जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने श्रम न्यायालय का वह आदेश निरस्त कर दिया, जिसके जरिये नगद के स्थान पर चैक से भुगतान के आधार पर बर्खास्तगी आदेश का अनुचित ठकराते हुए मप्र हाउसिंग बोर्ड को राहत दे दी गई थी।
न्यायमूर्ति जीएस अहलुवालिया की एकलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया कि बर्खास्तगी आदेश के साथ कर्मचरी को भुगतान का प्रविधान है। भुगतान नगद या चैक, किसी भी रूप में किया जा सकता है। मप्र हाउसिंग बोर्ड की ओर से कहा गया कि कर्मचारी हरिचरण को बर्खास्त करते हुए एक माह के वेतन व मुआवजे के अलग-अलग चैक जारी किए गए थे।
उसने दोनों चैक स्वीकार कर लिए थे। बाद में बर्खास्ती आदेश को चुनौती देते हुए श्रम न्यायालय पहुंच गया। श्रम न्यायालय ने उसके हक में आदेश पारित कर दिया। नगद के स्थान पर चैक से भुगतान को इसका आधार बनाया गया। श्रम न्यायालय के उसी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। दरअसल, श्रम न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के नगद भुगतान संबंधी एक न्यायदृष्टांत को आधार बनाकर नगद के स्थान पर चैक से भुगतान के कारण बर्खास्ती निरस्त कर दी थी।