डिंडौरी,रामसहाय मर्दन| आदिवासी बाहुल्य जिले में पूरे मध्य प्रदेश सहित बड़ी गर्मजोशी के साथ शिक्षण सत्र प्रारंभ होने पर चलो स्कूल चलें हम अभियान का आगाज किया गया था और अखबारों में जिले के शिक्षा विभाग ने खूब सुर्खियां बटोरी थी पर धरातल में परिस्थितियां कुछ और ही है देश का आने वाला भविष्य कहे जाने वाले नोनिहालो को टपकती छत बदहाल भवन में बैठकर अपने भविष्य का स्वर्णिम करने विवश होना पड़ा रहा है जिसकी कहानी अपनी जुबानी ग्राम पंचायत खमरिया के पोषक ग्राम केवलारी की प्राथमिक शाला अपनी ही जुबानी बयां कर रही है।
कमोबेश जिले की शिक्षा व्यवस्था की हर रोज नई कहानी मीडिया की सुर्खियां बनी रहती है फिर चाहे बच्चों को बारिश में उफनती नदी पार कर स्कूल जाने का मामला हो या फिर टपकती छत के नीचे छाता लगाकर अध्यापन करने का मामला हो शिवराज मामा के भांजे—भांजियों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन बावजूद इसके शिक्षा विभाग के तमाम जिम्मेदार गंभीर नहीं है ऐसे हालातों में अगर बच्चों को शिक्षा ग्रहण करना पड़े तो इन नोनिहालो का भविष्य कितना उज्ज्वल होगा कल्पना की जा सकती है क्योंकि इन तमाम मुद्दों से न जनपतिनिधियो को कुछ लेना देना है और न ही संबंधित विभाग के जिम्मेदारों को क्या इसी तरह टपकती छत बदहाल स्कूल भवन में संवरेगा नोनिहलो का भविष्य?आखिरकार कब जाएगा।
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डिंडौरी,रामसहाय मर्दन| आदिवासी बाहुल्य जिले में पूरे मध्य प्रदेश सहित बड़ी गर्मजोशी के साथ शिक्षण सत्र प्रारंभ होने पर चलो स्कूल चलें हम अभियान का आगाज किया गया था और अखबारों में जिले के शिक्षा विभाग ने खूब सुर्खियां बटोरी थी पर धरातल में परिस्थितियां कुछ और ही है देश का आने वाला भविष्य कहे जाने वाले नोनिहालो को टपकती छत बदहाल भवन में बैठकर अपने भविष्य का स्वर्णिम करने विवश होना पड़ा रहा है जिसकी कहानी अपनी जुबानी ग्राम पंचायत खमरिया के पोषक ग्राम केवलारी की प्राथमिक शाला अपनी ही जुबानी बयां कर रही है।कमोबेश जिले की शिक्षा व्यवस्था की हर रोज नई कहानी मीडिया की सुर्खियां बनी रहती है फिर चाहे बच्चों को बारिश में उफनती नदी पार कर स्कूल जाने का मामला हो या फिर टपकती छत के नीचे छाता लगाकर अध्यापन करने का मामला हो शिवराज मामा के भांजे—भांजियों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन बावजूद इसके शिक्षा विभाग के तमाम जिम्मेदार गंभीर नहीं है ऐसे हालातों में अगर बच्चों को शिक्षा ग्रहण करना पड़े तो इन नोनिहालो का भविष्य कितना उज्ज्वल होगा कल्पना की जा सकती है क्योंकि इन तमाम मुद्दों से न जनपतिनिधियो को कुछ लेना देना है और न ही संबंधित विभाग के जिम्मेदारों को क्या इसी तरह टपकती छत बदहाल स्कूल भवन में संवरेगा नोनिहलो का भविष्य?आखिरकार कब जाएगा।