◆ बेजुबान पशुओं की सेवा कर पेश कर रहे नजीर:-
डिंडौरी (रामसहाय मर्दन)। अमरपुर बेजुबानों का दर्द समझना और उनके कल्याण के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम करना इंसानियत का पहला धर्म है। हमारे शास्त्र भी यही शिक्षा देते हैं। समाज के कई लोग न सिर्फ इस पर अमल कर रहे हैं बल्कि खुद भी एक नजीर बनकर बेजुबान पशुओं की सेवा कर रहे हैं। ऐसे में शहर और कस्बे के कुछ ऐसे ही लोगों से रूबरू हुए जो दूसरों को बेजुबानों की सेवा करने की प्रेरणा दे रहे हैं। यही पहल ब्लाक मुख्यालय अमरपुर में मानव सेवा में अनुकरणीय उदाहरण सेवाएं देकर बेजुबान पशुओं की जान को बचाया गया। इस घायल बेजुबान पशु की मरहम पट्टी किया गया। इस लाचार के लिए चारे का भी प्रबंध किया गया। जाको राखे साईंया मार सके न कोई। ये कहावत उस समय चरितार्थ हो गयी जब सुबह-सुबह सक्का मार्ग लोकसेवा के सामने लोगों ने देखा कि एक आवारा बैल सड़क से नीचे जा गिर गया। बैल लगभग 20 फुट की ऊंचाई से गिरा। जहां बैल गिरा वहां स्लैब पर चढ़ने के लिए अभी सीढियां भी नहीं बनी हैं। बैल वहीं पर पैरों में चोट के कारण लहूलुहान अवस्था में वहीं पड़ा था। आने जाने वाले लोग उसे देख कर दुख जता रहे थे व पशुओं को आवारा छोड़ने वालों को कोस रहे थे। लेकिन कोई भी उसकी सहायता कर पाने में असमर्थ था। इसी बीच युवक मंडल के आलोक बर्मन, दिलीप रघुवंशी, रितेश उसराठे, मिंटू साहू आदि को इसके बारे में पता चला। उसके बाद उन्होंने लकड़ी की सहायता से उस बैल को उठाकर पुरानी पुलिस चौकी के पास बना रंगमंच में रखकर मिंटू साहू के द्वारा घायल बैल की मरहम पट्टी कर उसकी जान को बचाया गया। इस बीच स्थानीय लोगों ने कहा कि आवारा पशुओं की समस्या उनकी पंचायत में बहुत बढ़ गयी है। जिससे बहुत से लोगों को अपनी आजीविका का एक मात्र साधन खेती–बाड़ी भी मजबूरी में छोड़नी पड़ रही है। वहीं दूसरी ओर इन बेजुबानों की भी दुर्दशा हो रही है। ग्राम पंचायत को आवारा पशु जो रात दिन रोड़ किनारे होते हैं उन्हें कांजी हाउस में बंद कर पशु मालिक के ऊपर कानूनी कार्रवाई करना चाहिए और आवारा पशुओं के लिए सरकार को अति शीघ्र इस ओर ध्यान देना चाहिए।