( डिंडौरी) उपयंत्री कमलेश धूमकेती का एक और भ्रष्टाचार उजागर :— 5 महीने पहले ! 9 लाख रू.की लागत से बना परकुलेशन टैंक में एक बूंद नहीं है पानी….
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डिंडौरी,रामसहाय मर्दन। जिले में उपयंत्री और ठेकेदार की मिलीभगत से घटिया निर्माण कार्य चरम पर है । एक तरफ सरकार के द्वारा निर्माण कार्यों को लेकर लाखो करोड़ो रू. पानी की तरह खर्च कर रही है,किंतु सरपंच,सचिव और उपयंत्री के द्वारा मनमानी पूर्वक निर्माण कराते हुये स्वयं को आर्थिक लाभ पहुंचाने के चक्कर में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है । बता दें कि एक बार फिर से डिंडौरी जनपद पंचायत में कार्यरत उपयंत्री कमलेश धूमकेती की भ्रष्टाचार करने की एक ओर कीर्तिमान गाथा उजागर हुआ है।दरअसल विगत पांच माह पहले जनपद पंचायत डिंडौरी के ग्राम पंचायत इमलई में मनरेगा योजना से परकुलेशन टैंक का निर्माण कराया गया था। वहीं परकुलेशन टैंक पहली बारिश में फुटकर मलबा परकुलेशन टैंक के नीचे बने खेतों में समा गया था। स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा जानकारी में बताया गया था कि परकुलेशन टैंक निर्माण में नींव में डाली गई मिटटी को ठीक से नहीं दबाया गया और न ही पिचिंग बनाया गया । ग्रामीणों ने आरोप लगाए थे कि जिम्मेदारों के द्वारा मापदंडों दरकिनार कर घटिया निर्माण कराया गया है जिसके चलते पहली बारिश में लाखों रू .की लागत से बना परकुलेश टैंक बीच से फूट गया। बता दे कि आज तक निर्माण स्थल पर न सूचना बोर्ड न संबंधित जानकारी अंकित नहीं किया गया है। स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाए हैं कि उक्त परकुलेश टैंक के फूटने से जो फसल का नुकसान हुआ है उसकी आज तक कोई मुआवजा नहीं दिया गया है।उपयंत्री कमलेश धूमकेती के उपर आला अधिकारी मौन क्यों? क्या है मिलीभगत….डिंडौरी जनपद पंचायत में कार्यरत उपयंत्री कमलेश धूमकेती भ्रष्टाचार करने के मामले में काफी चर्चित हैं,इनके द्वारा तमाम प्रकार के निर्माण कार्यों में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है,किंतु जिला शासन के द्वारा उपयंत्री कमलेश धूमकेती के द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्यों की निष्पक्ष तरीके से जांच नहीं की जाती और न ही कार्रवाई की जा रही है। उपयंत्री के विरूध्द कोई ठोस कार्रवाई नही होने के कारण हौसलें बुलंद है। आखिर उपर बैठे उच्चाधिकारी इसको रोक क्यों नहीं पा रहे हैं। यह भी एक बडा सवाल हैं। कहीं उच्चाधिकारियों की रजामंदी से यह सब तो नहीं हो रहा है। कुल मिलाकर कार्रवाई न होना अधिकारियों के कमीशन की तरफ इशारा करता है। क्या आला अधिकारियों की मिलीभगत से खुलेआम भ्रष्टाचार को छुपाने का यह खेल खेला जा रहा है।
पहली बारिश में फूटने के बाद जिम्मेदारों के द्वारा किया गया था लीपापोती :—
जनपद सीईओ डिंडौरी निखलेश कटारे के द्वारा उक्त निर्माण कार्य में हुई अनियमितताएं की टीम गठित कर जांच कराने और संबंधितों के विरुद्ध कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अभी तक क्यों नहीं हुई कोई ठोस कार्रवाई:—
जनपद पंचायत डिंडौरी अंतर्गत ग्राम पंचायत इमलई का मामला:—
डिंडौरी,रामसहाय मर्दन। जिले में उपयंत्री और ठेकेदार की मिलीभगत से घटिया निर्माण कार्य चरम पर है । एक तरफ सरकार के द्वारा निर्माण कार्यों को लेकर लाखो करोड़ो रू. पानी की तरह खर्च कर रही है,किंतु सरपंच,सचिव और उपयंत्री के द्वारा मनमानी पूर्वक निर्माण कराते हुये स्वयं को आर्थिक लाभ पहुंचाने के चक्कर में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है । बता दें कि एक बार फिर से डिंडौरी जनपद पंचायत में कार्यरत उपयंत्री कमलेश धूमकेती की भ्रष्टाचार करने की एक ओर कीर्तिमान गाथा उजागर हुआ है।
दरअसल विगत पांच माह पहले जनपद पंचायत डिंडौरी के ग्राम पंचायत इमलई में मनरेगा योजना से परकुलेशन टैंक का निर्माण कराया गया था। वहीं परकुलेशन टैंक पहली बारिश में फुटकर मलबा परकुलेशन टैंक के नीचे बने खेतों में समा गया था। स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा जानकारी में बताया गया था कि परकुलेशन टैंक निर्माण में नींव में डाली गई मिटटी को ठीक से नहीं दबाया गया और न ही पिचिंग बनाया गया । ग्रामीणों ने आरोप लगाए थे कि जिम्मेदारों के द्वारा मापदंडों दरकिनार कर घटिया निर्माण कराया गया है जिसके चलते पहली बारिश में लाखों रू .की लागत से बना परकुलेश टैंक बीच से फूट गया। बता दे कि आज तक निर्माण स्थल पर न सूचना बोर्ड न संबंधित जानकारी अंकित नहीं किया गया है। स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाए हैं कि उक्त परकुलेश टैंक के फूटने से जो फसल का नुकसान हुआ है उसकी आज तक कोई मुआवजा नहीं दिया गया है।
उपयंत्री कमलेश धूमकेती के उपर आला अधिकारी मौन क्यों? क्या है मिलीभगत….
डिंडौरी जनपद पंचायत में कार्यरत उपयंत्री कमलेश धूमकेती भ्रष्टाचार करने के मामले में काफी चर्चित हैं,इनके द्वारा तमाम प्रकार के निर्माण कार्यों में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है,किंतु जिला शासन के द्वारा उपयंत्री कमलेश धूमकेती के द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्यों की निष्पक्ष तरीके से जांच नहीं की जाती और न ही कार्रवाई की जा रही है। उपयंत्री के विरूध्द कोई ठोस कार्रवाई नही होने के कारण हौसलें बुलंद है। आखिर उपर बैठे उच्चाधिकारी इसको रोक क्यों नहीं पा रहे हैं। यह भी एक बडा सवाल हैं। कहीं उच्चाधिकारियों की रजामंदी से यह सब तो नहीं हो रहा है। कुल मिलाकर कार्रवाई न होना अधिकारियों के कमीशन की तरफ इशारा करता है। क्या आला अधिकारियों की मिलीभगत से खुलेआम भ्रष्टाचार को छुपाने का यह खेल खेला जा रहा है।
इनका कहना है”
मामले की जानकारी आपके माध्यम से लगी है, पहले जांच हुई थी फिर से संज्ञान में आ गया है दुबारा से देख लेता हूं।
निखलेश कटारे, जंप सीईओ डिंडौरी