दिनांक 29/11/2019 को रिजेक्ट हुए जीएसटी बिल धारक को करोड़ो रूपये का भुगतान कर लाखों रुपये का विक्रय कर चोरी…
सरपंच के सगे रिश्तेदार मनरेगा मजदूर सप्लायर को षड्यंत्र पूर्वक किया गया करोड़ो का भुगतान…
वाणिज्यिक कर विभाग से टिन नम्बर और जीएसटी रजिस्ट्रेशन के बाद एक भी बार नही किया कर भुगतान…
डिंडौरी, रामसहाय मर्दन। जिले में इन दिनों बिल में फर्जी जीएसटी नम्बर दर्शाकर सरपंच और सप्लायर के द्वारा सरकार को लाखों रुपए का फ़टका लगाया जा रहा है। बता दें कि
केंद्र में काबिज मोदी सरकार ने एक देश,एक टैक्स की मंशा को साकार करने कर संग्रहण की पुरानी पद्धति पर विराम लगाते हुए 1 जुलाई 2017 से जीएसटी अर्थात गुड सर्विस टैक्स लागू किया था, विधेयक के लागू होते ही वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा जारी टिन नम्बर अमान्य हो गए थे, कानून के लागू होते ही जीएसटी अंतर्गत पंजीकृत बिल धारक ही व्यापार हेतु पात्र हैं लेकिन जिले में केंद्र सरकार की मंशा पर चूना पोतने का काम जोर—शोर से किया जा रहा है वही आला अधिकारी आंख में पट्टी बांध कर तमाशबीन बने हुए है।
ये रहा पूरा मामला….
दरअसल समनापुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत सुंदरपुर के पूर्व सरपंच सतेंद्र धुर्वे के भाई एवं वर्तमान सरपंच के देवर राजकुमार धुर्वे व उनके पत्नी के नाम पर फर्जी मस्टररोल जारी कर रोजगार गारंटी योजना में बड़े पैमाने पर धांधली को अंजाम देने का मामला उजागर हुआ था,जिसमें करोड़ पति सप्लायर सेठ का मेढ बाँध, खेत तालाब और अन्य निर्माण कार्यों में मजदूरी दर्शा कर बैखौफ घोटाला किया गया था, उससे भी बड़ा घोटाला एक बार फिर सामने आया हैं, ग्राम पंचायत के सचिव,सरपंच और सप्लायर ने बिल में जीएसटी का अवैधानिक नंबर दर्ज कर सरकारी खजाने से करोड़ो रूपये का भुगतान लेते हुए सरकार को लाखों रु विक्रय कर का भुगतान न करते हुए स्वयं उपयोग करते हुए खुद का राज चला रहें है।
लाखों रु का टैक्स चोरी,बैखौफ कर रहें भ्रष्टाचार…?
पूर्व सरपंच सतेंद्र धुर्वे के भाई एवं वर्तमान सरपंच के देवर राजकुमार धुर्वे के नाम पर वाणिज्य कर विभाग में टिन नंबर 23909218688 दर्ज हैं, जो जीएसटी लागू होते ही अमान्य हो गया था, राजकुमार धुर्वे के नाम पर दिनांक 01/01/2018 को जीएसटी नंबर एम एस मटेरियल सप्लायर के नाम 23CRGPD9069R2Z2 रजिस्ट्रेशन कराया गया था लेकिन टैक्स का भुगतान नहीं करने की स्थिति में वाणिज्यक कर विभाग द्वारा दिनांक 29/11/2019 को जीएसटी रद्द किया गया था इसके बावजूद टिन नंबर और आमान्य जीएसटी नम्बर दर्ज बिल लगाकर सुंदरपुर समेत कई ग्राम पंचायतो एवं सरकारी विभागों से करोड़ो रु का भुगतान प्राप्त करते हुए जानबूझकर भुगतान कर्ताओं के साथ सांठ गाँठ कर शासन को लाखों रु की क्षति पहुंचाई गई हैं, ग्राम स्वराज एवं पंचायत राज अधिनियम को दरकिनार कर ग्राम पंचायत सुंदरपुर के सरपंच सचिव भ्रष्टाचार करते हुए शासन की आँखों में धूल झोंककर जनहित के नाम पर अपने परिवार का विकास कर रहें हैं, इन्हें न शासन का डर हैं ना क़ानून का भय हैं… आखिर किसके संरक्षण में सरकारी खजाने को चपत लगाई जा रही हैं समझ से परे है।
इनका कहना है”
जीएसटी पंजीयन रद्द हो गया हैं इसकी जानकारी मुझे नहीं हैं, अब एमएस मटेरियल सप्लायर का बिल भुगतान नहीं करेंगें।