अनुबंध कि शर्तों को दरकिनार कर किया जा रहा अवैध खनन…
डिंडौरी, रामसहाय मर्दन। जिले में रेत माफिया बेलगाम हो गए है, इनके सामने शासन—प्रशासन की नियम कायदे कोई मायने नहीं रखते। खनिज विभाग के अफसर भी इन्हें नियमों का पालन कराने में कोई रुचि नहीं ले रख रहे है।
वहीं रेत माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने में जिम्मेदारों के हांथ पैर फूल रहे है,या फिर यूं कहा जाए कि अफसरों की संरक्षण में अवैध कारोबार का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।
रेत कारोबारी पर आखिर क्यों मेहरबान प्रशासनिक अमला….
जिले मे रेत कारोबारी की मनमानी और प्रशासनिक महकमे की खामोशी से पवित्र नर्मदा कि सहायक नदी बुढ़नेर के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है,क्यों और कैसे..? तो चलिए हम आपको बताते है। दरअसल बीते छः – सात वर्षों से जिले में चार रेत खदाने स्वीकृत की गई थी, जिनमें से तीन खदानें अमरपुर विकासखंड अंतर्गत बुढ़नेर नदी मे स्वीकृत है। इन बीते वर्षों मे ना तो ठेकेदारों ने अनुबंध कि शर्तों का पालन किया और ना ही प्रशासनिक महकमें ने कभी कोशिश की, कि खदान क्षेत्र में नियम – निर्देशों का पालन हो भी रहा है अथवा नहीं, नतीजतन रेत कारोबारियों ने इसका जमकर फायदा उठाया और बुढ़नेर में बीच मझदार पोकलेन और जे सी बी मशीनों के माध्यम से मिट्टी और बोल्डर का भराव कर लम्बे—लम्बे रेम्प तैयार कर दिए गये ,जिन पर भारी वाहन डंपर और अन्य वाहनों कि आवाजाही चौबीसों घंटे बनी रही। और जब बारिश आई तो यही सारा मलबा बहकर नर्मदा नदी मे समाहित हो गया। प्रशासनिक नजरअंदाजगी का आलम यह कि एक बार फिर रेत कारोबारी अनुबंध की शर्तों से परे बुढ़नेर नदी का सीना छलनी करने पर आमादा है। अखबारी सुर्खियों और सोशल मीडिया के माध्यम से शासन – प्रशासन को जगाने का प्रयास भी किया गया, लेकिन नतीजे अब तक सामने नहीं आये और इसी बात का फायदा रेत कारोबारी ने दीपावली पूर्व से उठाना प्रारम्भ कर दिया और जमकर सीमा क्षेत्र के बाहर जाकर मशीनो के माध्यम से उत्खनन किया जा रहा है।
हाँथ पर हाँथ धरे बैठा खनिज विभाग…
मामले को लेकर तत्कालीन प्रभारी खनिज अधिकारी और प्रभारी खनिज निरीक्षक को मौखिक एवं सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से जानकारी दी गई, लेकिन खनिज विभाग के इन जिम्मेदारों ने रेत कारोबारी से साँठगाँठ के चलते कोई कार्यवाही नहीं की और रेत कारोबारी को दीवाली पूर्व जमकर फायदा पहुँचाया। क्यों और किस दबाव मे या फिर किस मंशा से..? यह तो यही अधिकारी बेहतर बता सकते हैँ. क्यों कि फोन पर यह कोई जानकारी देते नहीं और कार्यालय मे यह मिलते नहीं।
क्यों और कैसे फूटी बॉउंड्रीबाल…
दीवारी खदान क्षेत्र में जहाँ भारी मशीनो के माध्यम से रेत निकासी की जा रही है, वहां से सरकारी स्कूल की दूरी अनुबंध कि शर्तों से परे महज 300 से 400 मीटर ही है, और फिर यह भारी – भरकम वाहन इसी शासकीय स्कूल के सामने से होकर गुजरते है,जहाँ ठीक सामने ही प्रसाधन घर बने हुये है,एवं प्राथमिक शाला के नौनिहाल रोड पर से अक्सर प्रसाधन घर आते जाते है,ग्रामवासियों के मुताबिक दीवाली पूर्व ही यहां एक रेत से भरा वाहन टकरा गई थी, जिसके चलते बॉउंड्रीबाल का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि स्कूल शिक्षिका ने इस सम्बन्ध मे रेत कारोबारी के मैनेजर से चर्चा की थी, जिस पर मैनेजर ने दो दिवस में दीवार दुरुस्त करने का आश्वाशन दिया था। लेकिन पंद्रह रोज होने को है और बॉउंड्रीबाल अब तक नहीं बनी।
दीवारी -2 मे भी किया खनन…
बताया गया कि दीवारी – 1 खदान कों चालू करने का आदेश दे दिया गया है, किन्तु जब खदान क्षेत्र मे मैदानी तहकीकात की तो पता चला वहां भी रेत कारोबारी के गुर्गों ने मशीन के माध्यम से लगभग 80 मीटर रेम्प तैयार कर दिया और बड़ी मात्रा मे रेत निकाली है। मौक़े पर अब भी दो से तीन डंपर का भण्डारण मौजूद है, जो जाकर देखा जा सकता है।
अँधेरे मे होता है खुलकर खेला….
खदान क्षेत्र की हालत देखकर यह अंदाजा भी सहज़ ही लगाया जा सकता है कि रेत कारोबारी के गुर्गे एक से ज्यादा पोकलेन मशीनों का खुलकर खेला करते है,जो अलसूबह तक चलता रहता है। रात के घुप्प अंधियार मे बनाया गया वीडियो और तस्वीरें पहले ही सोशल मीडिया मे सुर्खियां बटोर चुकी है।