सामुदायक स्वच्छता परिसर बना गाड़ी पार्क करने का अड्डा…..
डिंडौरी| आदिवासी बाहुल्य जिले में जिस प्रकार से शासन की अति महत्वाकांक्षी योजनाओं का मखौल उड़ाया जा रहा है वह भी स्वच्छता अभियान से जुड़े मामले को लेकर विचारणीय
है कि जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायतों में सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का निर्माण कार्य बीते तीन चार वर्ष पूर्व व्यापक पैमाने में कराए गए थे तब से लेकर आज तक इन स्वच्छता परिसरों में ताले लटके हुए है अपवाद स्वरूप ही उंगलियों में गिनी जा सकने वाली ग्राम पंचायतों में स्वच्छता परिसरों का उपयोग हो रहा है उल्लेखनीय है कि आंकड़ों की बाजीगरी दिखाने के फेर में जनपद पंचायत के जिम्मेदार नुमाइंदों ने स्वच्छता अभियान के अंतर्गत आनन—फानन स्वच्छता परिसरों का ताबड़तोड़ निर्माण कार्य तो कर दिया लेकिन इनके उपयोग की जरूरी व्यवस्थाएं करना मुनासिब नहीं समझा क्योंकि पानी की उपलब्धता के लिए इन पर टंकी तो रखी गई लेकिन पानी की व्यवस्था न तो पंचायत के जिम्मेदारों ने को और न ही जनपद पंचायत के जिम्मेदारों ने नतीजतन निर्माण के बाद से ही सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के दरवाजों में लटके ताले शोभा बढ़ा रहे है जबकि इनके निर्माण के पीछे शासन की मंशा यही थी की हाट बाजार में आने वाले लोगों को सुगम स्वच्छता परिसर मिल सके लेकिन इस आदिवासी बाहुल्य जिले में यह एक कोरी कल्पना से अधिक नहीं है ?