◆ उक्ठा,फफूंद,अन्य प्रकार के बीमारी से बचाया जा सकता है
डिंडौरी (रामसहाय मर्दन)।शहपुरा। भारतीय किसान संघ जिलाध्यक्ष व जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल साहू ने जैविक विधि से कर रहे खेती और किसानों से अपील की है कि रासायनिक छोड़कर जैविक अपनाएं। धान की फसल अधिक लेनी हो तो धान की नर्सरी तैयार करके धान बोनी चाहिए,धान की नर्सरी कैसे तैयार किया जाए इसकी जानकारी जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल साहू दे रहे हैं जिसमें जैविक विधि से धान का उपचार कर धान की नर्सरी तैयार करने की पूरी प्रायोगिक जानकारी दें रहे हैं।
◆ धान के बीजोपचार का तरीका
धान को सबसे पहले एक बड़ी तसले में धुलकर पानी में डुवांगे जिससे धान पानी पर तैरने लगता है जिसको अलग कर देना चाहिए फिर पानी में नीचे बैठा हुआ धान को निकालकर हल्का सुखा कर लें।10 लीटर गौमूत्र,10किलो गोबर,खाने का चूना आधा किलो,कच्चा दूध 250 मिली,पानी 10 लीटर,1 क्विंटल धान ये सभी को मिलाकर 15 मिनट सूखा लेना चाहिए। इसके उपरांत धान की नर्सरी तैयार करनी चाहिए।
◆ नर्सरी बनाने के फायदे
धान का उपचार इसीलिए करते हैं जिससे फफूंद,उक्ठा एवं अनेक प्रकार के रोगों से बचाया जा सकता है साथ ही धान में गोबर मिलाकर बुवाई करने से चिड़िया एवं पक्षियों से धान को बचाया जा सकता है क्योंकि धान के ऊपरी परत पर गोबर लगने से चिड़िया नही खाती है।
◆ ऐसे तैयार करें नर्सरी
नर्सरी तैयार करने के लिए भूमि का स्थान चैयन करें,भूमि हल्का ढलान हो या जिस खेत का स्थान पर उंचे हो पानी ना भरे ऐसे जगह पर नर्सरी तैयार करना चाहिए जब धान 14 दिन से ऊपर और 21 दिन के अंदर का हो जाए तो धान की रोपाई कर देना चाहिए जिससे धान अपनी जड़ सही समय में फैलाकर अधिक मात्रा में शाखाएं निकाल सके एवं धान की रोपाई 25-25 सेमी दूरी पर करना चाहिए।