-एनजीटी ने नर्मदा नदी में मिल रहे नालों को चुनौती देने वाली एडवोकेट सम्यक् जैन, मनन अग्रवाल व धीरज तिवारी की याचिका पर दिए निर्देश….
डिंडौरी(रामसहाय मर्दन)| मध्यप्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली माँ नर्मदा जो कि हिन्दू धर्मावलंबियों की आस्था एवं श्रद्धा की केंद्र हैं,माँ नर्मदा की पौराणिक मान्यता हैं, और पवित्र नदियों में प्रमुख मानी जाती हैं। डिंडौरी में लगभग 7-8 नालों के माध्यम से गटर की पानी सीधे नर्मदा में मिल रही हैं,बढ़ते प्रदूषण को लेकर युवा अधिवक्ता सम्यक जैन,धीरज तिवारी एवं मनन अग्रवाल ने एनजीटी में याचिका दायर किया था। 10 जनवरी को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण कुमार त्यागी व जस्टिस अफ़रोज़ अहमद की युगलपीठ ने मध्य प्रदेश सरकार सहित अन्य जिम्मेदारों को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किये हैं, युगलपीठ ने सरकार एवं अन्य को निर्देशित किया है कि 2 महीने के अंदर नर्मदा नदी में प्रवाहित हो रही गंदगी के निदान के लिए किए जा रहे कार्यो व अपना अभिमत दें ।
-याचिका पर अगली सुनवाई 5 अप्रैल को निर्धारित की है।
ज़िले के युवा अधिवक्ता सम्यक् जैन, मनन अग्रवाल एवं धीरज तिवारी ने एनजीटी दिल्ली की प्रिन्सिपल बेंच में मामला दर्ज कराकर नर्मदा के संरक्षण हेतु विभिन्न माँग की थी जिसके बाद जाँच टीम द्वारा निरीक्षण कर जाँच प्रतिवेदन एनजीटी को सौपा गया था , टीम द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई है, लेकिन माननीय एनजीटी ने मध्य प्रदेश शासन, मुख्य सचिव के माध्यम से, उपाध्यक्ष, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, भोपाल, आयुक्त, नगर परिषद, डिंडौरी, मुख्य अभियंता, केन्द्रीय जल आयोग, भोपाल, प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शहरी विकास कम्पनी लिमिटेड, एमपीपीसीबी, डीएफ़ओ, डिंडौरी और कलेक्टर, डिंडौरी से जवाब मांगा है।