डिंडौरी| सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमरपुर के विरिष्ठ डॉ मेज़र प्रेम सिंह कुशराम शिशु रोग एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ (DCH&DGO) का जिला अस्पताल डिण्डौरी में डीएचओ के रुप में स्थानांतरण होने से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमरपुर में उदासियों के घनघोर बादल छाए हुए हैं। समस्त स्टाफ के आंखों में नम आंसू दिखाई दिया।
कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं और भगवान के इसी अवतार के सम्मान प्रकट करने के लिए धरती पर इस पर उनकी कार्यशैली जिसमें रात हो या दिन.. ड्यूटी पर रहते हुए ही नहीं, ड्यूटी के बाद भी..। मरीज कौन हैै.., गरीब है.. अमीर हैै, उसका मजहब क्या है। कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके कदम बढ़ चलते हैं। एक ही मकसद सिर्फ मरीज के दर्द को दूर करना। तभी तो लोग इनको धरती में भगवान का दूसरा रूप मानते हैं। समाज के लिए वह रोल मॉडल हैं।
ऐसे बहुत ही कम चिकित्सक होंगे जो मरीज के सिर पर हाथ रखते हो, उसका हाथ अपने हाथों में लेकर हालचाल पूछते हों। बीमारी और आराम के बारे में ऐसे पूछते हों, जैसे वह कोई परिवार का सदस्य हो। ऐसा करते दिखे तो समझ जाइए वह डॉ. मेज़र प्रेम सिंह कुशराम हैं। सामान्य परिवार में पले बढ़े डॉ साहब हर मरीज को अपने परिवार के सदस्य जैसा मानते हैं। डॉ. कुशराम ने सोचा भी न था कि चिकित्सक बनने के बाद उन्हें गृह ब्लॉक में लगातार 22 वर्षों से अमरपुर में सेवा दिये और अमरपुर वाले इस तरह चाहेंगे। आज वह कई सामाजिक संगठनों से जुड़कर गरीबों और असहायों को निशुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर उन्हें नि:शुल्क दवाएं देते रहे हैं। अपने यहां आने वाले गरीब और जरूरतमंद का इलाज भी नि:शुल्क करने से पीछे नहीं हटते। शायद इसी वजह से इनके मरीज इनको भगवान से कम नहीं मानते।अपना जीवन मरीजों को समर्पित करना है। तब से लेकर आज तक वह रोगियों का इलाज प्रभु सेवा समझ कर करते हैं। डॉ साहब के अमूल्य योगदान के प्रति सम्मान जाहिर करना हमारा फ़र्ज़ कोरोना जैसी महामारी के दौरान भी डॉक्टर साहब दिन-रात मरीजों की सेवा में डटे रहे।
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डिंडौरी| सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमरपुर के विरिष्ठ डॉ मेज़र प्रेम सिंह कुशराम शिशु रोग एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ (DCH&DGO) का जिला अस्पताल डिण्डौरी में डीएचओ के रुप में स्थानांतरण होने से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमरपुर में उदासियों के घनघोर बादल छाए हुए हैं। समस्त स्टाफ के आंखों में नम आंसू दिखाई दिया।कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं और भगवान के इसी अवतार के सम्मान प्रकट करने के लिए धरती पर इस पर उनकी कार्यशैली जिसमें रात हो या दिन.. ड्यूटी पर रहते हुए ही नहीं, ड्यूटी के बाद भी..। मरीज कौन हैै.., गरीब है.. अमीर हैै, उसका मजहब क्या है। कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके कदम बढ़ चलते हैं। एक ही मकसद सिर्फ मरीज के दर्द को दूर करना। तभी तो लोग इनको धरती में भगवान का दूसरा रूप मानते हैं। समाज के लिए वह रोल मॉडल हैं।ऐसे बहुत ही कम चिकित्सक होंगे जो मरीज के सिर पर हाथ रखते हो, उसका हाथ अपने हाथों में लेकर हालचाल पूछते हों। बीमारी और आराम के बारे में ऐसे पूछते हों, जैसे वह कोई परिवार का सदस्य हो। ऐसा करते दिखे तो समझ जाइए वह डॉ. मेज़र प्रेम सिंह कुशराम हैं। सामान्य परिवार में पले बढ़े डॉ साहब हर मरीज को अपने परिवार के सदस्य जैसा मानते हैं। डॉ. कुशराम ने सोचा भी न था कि चिकित्सक बनने के बाद उन्हें गृह ब्लॉक में लगातार 22 वर्षों से अमरपुर में सेवा दिये और अमरपुर वाले इस तरह चाहेंगे। आज वह कई सामाजिक संगठनों से जुड़कर गरीबों और असहायों को निशुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर उन्हें नि:शुल्क दवाएं देते रहे हैं। अपने यहां आने वाले गरीब और जरूरतमंद का इलाज भी नि:शुल्क करने से पीछे नहीं हटते। शायद इसी वजह से इनके मरीज इनको भगवान से कम नहीं मानते।अपना जीवन मरीजों को समर्पित करना है। तब से लेकर आज तक वह रोगियों का इलाज प्रभु सेवा समझ कर करते हैं। डॉ साहब के अमूल्य योगदान के प्रति सम्मान जाहिर करना हमारा फ़र्ज़ कोरोना जैसी महामारी के दौरान भी डॉक्टर साहब दिन-रात मरीजों की सेवा में डटे रहे।