• अखिर किसके संरक्षण में उपयंत्री और सहायक यंत्री के द्वारा खेला जा रहा भ्रष्टाचार का खेल…
• कागजों में पूर्ण हुआ देवरा और सरहरी अमृत सरोवर तालाब! लेकिन अभी भी काम अधूरा….
डिंडौरी, रामसहाय मर्दन| आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर को यादगार बनाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य तय किया था। डिंडौरी जिले में ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के द्वारा बड़े पैमाने पर मोटी लागत से अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य कराए गए हैं, जहां अम्रत सरोवर निर्माण को लेकर केंद्र सरकार की मंशा हैं की जल संरक्षण के साथ ही दर्शनीय स्थल विकसित किया जाए, अम्रत सरोवरों में मछली पालन, सिंघाड़ा उत्पादन जैसे गतिविधियां क्रियान्वित कर रोजगार सृजन का उद्देश्य प्रमुख हैं, लेकिन डिंडौरी जिले के तकनीकी अधिकारियों ने आजादी का अम्रत महोत्सव अभियान के तहत कराये जा रहे अम्रत सरोवर निर्माण में मापदंडों को किनारे करते हुए मनमाफिक ढांचा तैयार कर सरकारी राशि का दुरुपयोग करने पर आमादा हैं। जिसके कारण लाखों की लागत से निर्मित अमृत सरोवर तालाब गर्मी से पहले ही सूख गए और कुछ तालाब सूखने के कगार में है।
उपयंत्री और सहायक यंत्री ने मापदंडो को अनदेखी कर सरकारी राशि का किया दुरुपयोग
गौरतलब यह कि डिंडौरी जनपद के ग्राम पंचायत देवरा में 59.80 लाख रू. की लागत से तो वहीं ग्राम पंचायत सरहरी में 57.54 लाख रुपए खर्च कर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के द्वारा अमृत सरोवर तालाब निर्माण किया गया। तालाब निर्माण कार्य में उपयंत्री गिरवर डहेरिया, सहायक यंत्री और ठेकेदार की मिलीभगत से भारी गड़बड़ी कर भ्रष्टाचार करते हुए स्वयं को आर्थिक लाभ पहुंचाने के चक्कर गुणवत्ताविहीन तालाब का निर्माण कराया गया। लाखों रू. खर्च के बावजूद ग्राम पंचायत सरहरी का तालाब पूरी तरह सूख चुकी है। तालाब में अब धूल उड़ रही है तो वहीं ग्राम पंचायत देवरा अमृत सरोवर तालाब निर्माण के लिए लाखों रू. का भुगतान रेत, सीमेंट और गिट्टी खरीदी के नाम पर किया गया, किंतु वेस्टवियार का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया गया।
ग्राम पंचायत देवरा तालाब
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डिंडौरी, रामसहाय मर्दन| आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर को यादगार बनाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य तय किया था। डिंडौरी जिले में ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के द्वारा बड़े पैमाने पर मोटी लागत से अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य कराए गए हैं, जहां अम्रत सरोवर निर्माण को लेकर केंद्र सरकार की मंशा हैं की जल संरक्षण के साथ ही दर्शनीय स्थल विकसित किया जाए, अम्रत सरोवरों में मछली पालन, सिंघाड़ा उत्पादन जैसे गतिविधियां क्रियान्वित कर रोजगार सृजन का उद्देश्य प्रमुख हैं, लेकिन डिंडौरी जिले के तकनीकी अधिकारियों ने आजादी का अम्रत महोत्सव अभियान के तहत कराये जा रहे अम्रत सरोवर निर्माण में मापदंडों को किनारे करते हुए मनमाफिक ढांचा तैयार कर सरकारी राशि का दुरुपयोग करने पर आमादा हैं। जिसके कारण लाखों की लागत से निर्मित अमृत सरोवर तालाब गर्मी से पहले ही सूख गए और कुछ तालाब सूखने के कगार में है।उपयंत्री और सहायक यंत्री ने मापदंडो को अनदेखी कर सरकारी राशि का किया दुरुपयोगगौरतलब यह कि डिंडौरी जनपद के ग्राम पंचायत देवरा में 59.80 लाख रू. की लागत से तो वहीं ग्राम पंचायत सरहरी में 57.54 लाख रुपए खर्च कर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के द्वारा अमृत सरोवर तालाब निर्माण किया गया। तालाब निर्माण कार्य में उपयंत्री गिरवर डहेरिया, सहायक यंत्री और ठेकेदार की मिलीभगत से भारी गड़बड़ी कर भ्रष्टाचार करते हुए स्वयं को आर्थिक लाभ पहुंचाने के चक्कर गुणवत्ताविहीन तालाब का निर्माण कराया गया। लाखों रू. खर्च के बावजूद ग्राम पंचायत सरहरी का तालाब पूरी तरह सूख चुकी है। तालाब में अब धूल उड़ रही है तो वहीं ग्राम पंचायत देवरा अमृत सरोवर तालाब निर्माण के लिए लाखों रू. का भुगतान रेत, सीमेंट और गिट्टी खरीदी के नाम पर किया गया, किंतु वेस्टवियार का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया गया।रेत खरीदी के लिए 396000 रू. का भुगतान, 20 एमएम गिट्टी खरीदी के लिए 145246 रू. का भुगतान, 40 एमएम गिट्टी खरीदी के लिए 330420 रू, का भुगतान, और सीमेंट खरीदी के लिए 281830 रू. का भुगतान किया गया। लाखों रू. के निर्माण सामग्री खरीदी करने के बाद भी वेस्टवियर निर्माण कार्य अधूरा पडा हुआ हैं। इससे सवाल ये उठता है कि 1153496 रू. के निर्माण सामग्री खर्च करने के बावजूद वेस्ट वियर का निर्माण अधूरा क्यों है? अखिर लाखों रू. के निर्माण सामग्री कहां गई। वहीं जब संबंधित उपयंत्री गिरवर डहेरिया से खरीदी की गई निर्माण सामग्री के संबंध में जानकारी ली गई तो उपयंत्री महोदय ने बताया कि निर्माण सामग्री की चोरी हो गई है उंहोने बताया कि दो डंपर रेत, एक डंपर गिट्टी और 40 से 45 बोरी सीमेंट की चोरी हो गई।सवालः- उपयंत्री साहब निर्माण सामग्री चोरी की शिकायत तो जरूर आपके द्वारा थाने में की गई होगी,जवाबः- उपयंत्री साहब गिरवर डहेरिया कि जबाब सुनकर दंग रह जाएगें, साहब मुस्कुराते हुए कहा शिकायत किसके ऊपर करें सब अपने ही लोग है।सवालः- उपयंत्री साहब निर्माण सामग्री चोरी से सरकार को लाखों रू. का नुकसान हो गया आप निर्माण साइड में चैकीदार रखकर निर्माण सामग्री की चोरी को रोक सकते थे लेकिन आपने चौकीदार क्यों नहीं रखा ?जवाबः- उपयंत्री साहब ने कहा चौकीदार को मजदूरी कोन अपने जेब से देगा।उपयंत्री साहब गिरवर डहेरिया की जवाब सुनकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की लाखों रू. किस तरह बंदरबाट किया जा रहा है। उपयंत्री साहब की मंशा साफ है सिर्फ अपनी जेब भरनी हैं। सरकार की मंशा के विपरीत कार्य कर रहे उपयंत्री महोदय पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से साहब हौंसले बुंलादिया छू रही हैं।आला अधिकारी मौन क्यों? क्या है मिलीभगतजिस तरह जिले में अमृत सरोवर योजना के तहत कराये जा रहे तालाब निर्माण कार्य में उपयंत्री गिरवर डहेरिया और सहायक यंत्री की लगातार अनिमित्ताएं सामने आ रहीं है। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि संबंधित उपयंत्री, सहायक यंत्री की के द्वारा उक्त दोनों तालाबों का गुणवत्तापूर्ण निर्माण नहीं कराया गया। गौरतलब यह है कि उक्त दोेनों तालाबों में बरती गई अनिमित्ताए के संबंध जिला पंचायत सीईओ विमलेश सिहं और ग्रामीण यांत्रिकी विभाग कार्य पालन यंत्री को दिया गया, लेकिन उक्त मामले की आज तक जांच करा उपयंत्री गिरवर डहेरिया और सहायक यंत्री के विरूध्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं किया गया।आखिर उपर बैठे उच्चाधिकारी निर्माण कार्यों में हो रहे भ्रष्टाचार को रोक क्यों नहीं पा रहे हैं? यह भी एक बडा सवाल है कि कहीं उच्चाधिकारियों की रजामंदी से यह सब तो नहीं हो रहा है, शायद इसी वजह से उच्चधिकारी मौन है। जबकि उपयंत्री एवं सहायक यंत्री को निर्माण कार्य की लगातार निरीक्षण करते हुए गुणवत्तापूर्ण कार्य करने के निर्देश दिए गए है। किंतु मापदंड को दरकिनार करते हुए स्वयं को आर्थिक लाभ पहुंचने के चलते गुणवत्ताविहीन निर्माण कराया जाना प्रतीत होता है। वहीं जिन अधिकारियों को भ्रष्टाचार रोकने का जबाबदारी दी गई है वह भी पैसों के चमक के आगे नतमस्तक हो चुके हैं। जिसे देखकर लगता है कि जिम्मेदारों के द्वारा भ्रष्टाचार का गबन करने की आजादी दे दी गई है। शायद इसी वजह से उच्चधिकारी मौन रहते हैं, कुल मिलाकर कार्रवाई न होना अधिकारियों के कमीशन की तरफ इशारा करता है। क्या आला अधिकारियों की मिलीभगत खुलेआम भ्रष्टाचार को छुपाने का यह खेल खेला जा रहा है।
रेत खरीदी के लिए 396000 रू. का भुगतान, 20 एमएम गिट्टी खरीदी के लिए 145246 रू. का भुगतान, 40 एमएम गिट्टी खरीदी के लिए 330420 रू, का भुगतान, और सीमेंट खरीदी के लिए 281830 रू. का भुगतान किया गया। लाखों रू. के निर्माण सामग्री खरीदी करने के बाद भी वेस्टवियर निर्माण कार्य अधूरा पडा हुआ हैं। इससे सवाल ये उठता है कि 1153496 रू. के निर्माण सामग्री खर्च करने के बावजूद वेस्ट वियर का निर्माण अधूरा क्यों है? अखिर लाखों रू. के निर्माण सामग्री कहां गई। वहीं जब संबंधित उपयंत्री गिरवर डहेरिया से खरीदी की गई निर्माण सामग्री के संबंध में जानकारी ली गई तो उपयंत्री महोदय ने बताया कि निर्माण सामग्री की चोरी हो गई है उंहोने बताया कि दो डंपर रेत, एक डंपर गिट्टी और 40 से 45 बोरी सीमेंट की चोरी हो गई।
सवालः- उपयंत्री साहब निर्माण सामग्री चोरी की शिकायत तो जरूर आपके द्वारा थाने में की गई होगी,
जवाबः- उपयंत्री साहब गिरवर डहेरिया कि जबाब सुनकर दंग रह जाएगें, साहब मुस्कुराते हुए कहा शिकायत किसके ऊपर करें सब अपने ही लोग है।
सवालः- उपयंत्री साहब निर्माण सामग्री चोरी से सरकार को लाखों रू. का नुकसान हो गया आप निर्माण साइड में चैकीदार रखकर निर्माण सामग्री की चोरी को रोक सकते थे लेकिन आपने चौकीदार क्यों नहीं रखा ?
जवाबः- उपयंत्री साहब ने कहा चौकीदार को मजदूरी कोन अपने जेब से देगा।
उपयंत्री साहब गिरवर डहेरिया की जवाब सुनकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की लाखों रू. किस तरह बंदरबाट किया जा रहा है। उपयंत्री साहब की मंशा साफ है सिर्फ अपनी जेब भरनी हैं। सरकार की मंशा के विपरीत कार्य कर रहे उपयंत्री महोदय पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से साहब हौंसले बुंलादिया छू रही हैं।
आला अधिकारी मौन क्यों? क्या है मिलीभगत
जिस तरह जिले में अमृत सरोवर योजना के तहत कराये जा रहे तालाब निर्माण कार्य में उपयंत्री गिरवर डहेरिया और सहायक यंत्री की लगातार अनिमित्ताएं सामने आ रहीं है। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि संबंधित उपयंत्री, सहायक यंत्री की के द्वारा उक्त दोनों तालाबों का गुणवत्तापूर्ण निर्माण नहीं कराया गया। गौरतलब यह है कि उक्त दोेनों तालाबों में बरती गई अनिमित्ताए के संबंध जिला पंचायत सीईओ विमलेश सिहं और ग्रामीण यांत्रिकी विभाग कार्य पालन यंत्री को दिया गया, लेकिन उक्त मामले की आज तक जांच करा उपयंत्री गिरवर डहेरिया और सहायक यंत्री के विरूध्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं किया गया।
ग्राम पंचायत सरहरी तालाब
आखिर उपर बैठे उच्चाधिकारी निर्माण कार्यों में हो रहे भ्रष्टाचार को रोक क्यों नहीं पा रहे हैं? यह भी एक बडा सवाल है कि कहीं उच्चाधिकारियों की रजामंदी से यह सब तो नहीं हो रहा है, शायद इसी वजह से उच्चधिकारी मौन है। जबकि उपयंत्री एवं सहायक यंत्री को निर्माण कार्य की लगातार निरीक्षण करते हुए गुणवत्तापूर्ण कार्य करने के निर्देश दिए गए है। किंतु मापदंड को दरकिनार करते हुए स्वयं को आर्थिक लाभ पहुंचने के चलते गुणवत्ताविहीन निर्माण कराया जाना प्रतीत होता है। वहीं जिन अधिकारियों को भ्रष्टाचार रोकने का जबाबदारी दी गई है वह भी पैसों के चमक के आगे नतमस्तक हो चुके हैं। जिसे देखकर लगता है कि जिम्मेदारों के द्वारा भ्रष्टाचार का गबन करने की आजादी दे दी गई है। शायद इसी वजह से उच्चधिकारी मौन रहते हैं, कुल मिलाकर कार्रवाई न होना अधिकारियों के कमीशन की तरफ इशारा करता है। क्या आला अधिकारियों की मिलीभगत खुलेआम भ्रष्टाचार को छुपाने का यह खेल खेला जा रहा है।
इनका कहना है “
उक्त मामले को लेकर जिला पंचायत सीईओ को निर्देशित कर दिया गया, मामले की जांच की जा रही है।
कलेक्टर विकास मिश्रा, डिंडौरी।