◆ जिले के ब्लाक मुख्यालय अमरपुर में 50 लाख की लागत से किया जा रहा समुदायिक भवन का निर्माण का मामला:-
डिण्डौरी (रामसहाय मर्दन)। अमरपुर केंद्र सरकार व राज्य सरकार गांवों के विकास को लेकर विभिन्न योजनाओं को संचालित कर रही है पर गांवों पर संचालित योजनाओं का क्रिवान्यवन कैसे हो रहा है इसे जानने की फुर्सत आखिर किसी को क्यों नही होती है??? जबकि योजनाओं को नजर रखने को लेकर कई ऐजेंसी तैनात है पर भष्ट्राचार कम होने का नाम नहीं ले रही है जिसका उदाहरण हम देख सकते हैं, जिले के ब्लाक मुख्यालय अमरपुर में यहां आदिवासी सामुदायिक भवन 50 लाख की लागत से भवन का निर्माण कार्य कराया जा रहा है पर गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखे जाने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। धांधली की शुरुआत ठेकेदार द्वारा कर दी गई, महज डेड़ फीट में इस भवन का कालम खुदाई कर इस भवन निर्माण नींव की श्री गणेश कर दी गई। शासन ने इस कार्य को लेकर लाखों रुपए की स्वीकृति दिए जाने के बावजूद इसके इस तरह के कार्य से भवन के हालत भविष्य में क्या होगा अंदाजा लगाया जा सकता है इस सबंध में भवन का निर्माण कार्य करा रहे इंजीनियर से बात किया गया तो अपना पल्ला झाड़ते नजर आए पर जमीनी हकीकत तो कुछ और ही बयां कर रही है। गांव वालों कहना है कि गांव में कभी-कभी ही भवन का निर्माण होता है उस पर ठेकेदार का मनमाना रवैया अपना इस से निर्माण कार्य को सम्पन्न करना समझ से परे है इस पर शीघ्र रोक लगाकर इस्टेमेट के अनुसार ही कार्य होना चाहिए। ताकि ग्रामीण भवन में सुरक्षित महसूस कर सके। जनता से एक-एक पैसा बंटोरकर धन जुटाने वाले सार्वजनिक उपक्रमों का रुपया किस तरह से बर्बाद किया जा सकता है, इसकी नजीर देखना हो तो आदिम जाति कल्याण विभाग की ओर से कराए जा रहे आदिवासी सामुदायिक भवन जनपद मुख्यालय अमरपुर के निर्माण कार्य में देख सकते हैं। कहने के लिए ठेकेदार द्वारा निर्माण कराया जा रहा हैं, लेकिन यहां बेरोकटोक महज 18 इंच गहरी नींव खोदकर बना रहे सामुदायिक भवन इसको देखकर कोई भी कह सकता है कि आदिम जाति कल्याण विभाग नाले में रुपया फेंक रहा है। स्थानीय जिम्मेदार सब कुछ जानने के बावजूद चुपचाप से चल रहे निर्माण कार्य को देख अपनी आंखें बंद किए हुए हैं। ऐसे ही कार्यों और अधिकारियों की लापरवाही के चलते ही ऐसे भवन 1 साल में ही जर्जर में तब्दील हो जातें हैं। निर्माण कार्यों में अंधेरगर्दी का खामियाजा ग्रामीणों को उठानी पड़ती है। राज्य शासन ने आदिवासियों के 20 देव—स्थलों पर सामुदायिक भवन निर्माण के लिये कुल 10 करोड़ 50 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की थी। आदिम-जाति कल्याण विभाग द्वारा आस्ठान योजना में स्वीकृत इस राशि से देव-स्थलों पर सामुदायिक भवनो के निर्माण के साथ-साथ पेयजल, स्नानागार और विद्युत व्यवस्था जैसे बुनियादी कार्य भी पूर्ण किये जाना सुनिश्चित किया गया था। आस्ठान योजना कें अंतर्गत आदिवासी समुदायों के कुल देवता और ग्रामीण देवी-देवस्थानों के पर निर्मित देवगढ़ी, मढ़िया, देवठान के निर्माण और जीर्णोद्धार तथा इन स्थानों पर आने वाले श्रृद्धालुओं के विश्राम भवन निर्माण के लिये कमलनाथ की सरकार ने बजट में पर्याप्त राशि का प्रावधान किया गया था।