केंद्रीय सहायता राशि की खुलकर हो रही बंदरबांट,सरपंच, सचिव ने राशि आहरण का निकाल लिया है गजब फार्मूला…
डिंडौरी,राठौर रामसहाय मर्दन| जनपद पंचायत डिंडौरी के ग्राम पंचायत औरई में सरपंच ,सचिव के द्वारा पर 15 वें वित्त आयोग की राशि में भारी अनियमितता बरती जा रही है। सरपंच,सचिव केंद्रीय सहायता 15 वें वित्त का भुगतान फर्जी बिल और अमान्य फोटो लगाकर कर लाखों रू.का बंदरबांट कर रहे है।
बता दें कि गांवों के विकास और ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय मद के 15वें वित्त की राशि का ग्राम पंचायतों में गजब ही घोटाला किया जा रहा है। इस मद के करोड़ों रुपयों की बंदरबांट सरपंच, सचिव और जनपद पंचायत के अधिकारी कर रहे है।इस मद की राशि के आहरण की भी गजब तोड़ इस तिकड़ी ने निकाल ली है।मजे की बात यह है कि सरकारी धन हड़पने का ऐसा खेल एक अकेले नहीं या बल्कि पूरे जिले की ग्राम पंचायतों में चल रहा है। यही वजह है कि अधिकांश सरपंच , सचिव खाक से फलक तक जा पहुंचे है।
15वें वित्त की राशि में हेराफेरी का एक बड़ा मामला डिंडौरी जनपद के ग्राम पंचायत औरई में सामने आया है, सरपंच लामिया बाई,सचिव राकेश कुमार परस्ते के द्वारा बिना प्रयोजन, बिना जीओ टैग के फर्जी, धुंधला बिल और अमान्य फोटो लगाकर लाखों रुपए का भुगतान अपने चहेते सप्लायर को मटेरियल खरीदी के नाम पर नियम विरुद्ध तरीके से किया जा रहा है, हैरानी की बात ये है कि अधिकारी भी फर्जी, धुंधले बिल अमान्य फोटो ,बिना जीएसटी नबंर वाले बिलों की जांच करे बिना ही लाखों रुपए का बिल पास कर भुगतान कर रहे है।
15वें वित्त आयोग की राशि के उपयोग और आहरण के लिए सरकार की गाइड लाइन के अनुसार यदि किसी को 50 हजार से ऊपर का भुगतान करना है तो उसके लिए तकनीकी स्वीकृति जरूरी होती है। इससे बचने के लिए सरपंच, सचिवों और जनपद के अफसर ने गजब तोड़ निकाल ली है। इस तोड़ के अनुसार 49 हजार, 45 हजार रुपए का आहरण किया जाने लगा है। इस योजना में एक विशेष बात यह भी है कि जीओ टैग जरूरी होता है, लेकिन यहां इस फार्मूले पर भी धता बताया जा रहा है। 50 हजार के नीचे की राशि में न तकनीकी स्वीकृति की आवश्यकता होती है न ही जीओ टैग की। सचिव, सरपंच अपनी मनमानी से मनचाहे हिसाब से खर्च दर्शाकर राशि का गबन कर रहे है।
ई ग्राम स्वराज में लगे बिलों के अनुसार डिंडौरी जनपद पंचायत के औरई ग्राम पंचायत में 2024-25 से 2025- 26 में 15वें वित आयोग के लगभग लाखों रुपयों के बिलों का भुगतान बिना प्रयोजन, बिना जीओ टैग के फर्जी, धुंधला बिल और अमान्य फोटो लगाकर सरपंच,सचिव के द्वारा बंदरबाट किया गया है। 15 वें वित्त योजना में प्रावधान है कि सरपंच, सचिव को ग्रामसभा में अनुमोदन कराकर ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम में चयनित कार्य को 60 -40 के रेसियो में कराना होता है। इसके तहत स्वच्छता में 30, शिक्षा में 30, अधो संरचना में 40 प्रतिशत प्लान के तहत केंद्रीय सहायता राशि 15वें वित्त से ग्राम पंचायत का विकास करना होता है, लेकिन जीपीडीपी कुछ और बनाते हैं और खर्च कुछ और करते है।