याचिका में कहा गया था कि सेवा समाप्त करने से पूर्व सीईओ या अतिरिक्त सीईओ की अध्यक्षता में जांच करवाना आवश्यक है। सेवा समाप्त किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका खारिज होने के कारण उक्त अपील दायर की गई है।
डिंडौरी|संविदा सेवा समाप्ति को लेकर हाईकोर्ट पहुंचा मामला खारिज हो गया है। हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया तथा जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की युगलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है कि सेवा समाप्ति के लिए विभागीय जांच आवश्यक है। संविदा कर्मचारी की सेवा का नवीनीकरण के लिए विभागीय जांच आवश्यक नहीं है।
बता दें कि डिंडौरी निवासी अर्चना झारिया की तरफ से दायर की गई अपील में कहा गया था कि वह ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संविदा कर्मचारी के रूप में साल 2012 से कार्यरत थी। उसी सेवा साल 2018 में समाप्त कर दी गई। याचिका में कहा गया था कि सेवा समाप्त करने से पूर्व सीईओ या अतिरिक्त सीईओ की अध्यक्षता में जांच करवाना आवश्यक है। सेवा समाप्त किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका खारिज होने के कारण उक्त अपील दायर की गई है।युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि संविदा नियुक्ति की शर्तों के अनुसार नियुक्ति अधिकतम एक साल की थी। संविदा अवधि पूर्ण होने के उपरांत कार्यकुशलता एवं किए गए कार्यो के मूल्यांकन के आधार पर आगामी वर्ष के लिए उसे बढ़ाने पर विचार किया जाएगा। युगलपीठ ने पाया कि उक्त मामला सेवा समाप्ति का नहीं है। संविदा अवधि वर्ष पूर्ण होने के बाद कार्य का मूल्यांकन संतोषजनक नहीं पाए जाने पर सेवा नवीनीकरण नहीं किए जाने का है। युगलपीठ ने याचिका को हस्तक्षेप के योग्य नहीं मानते हुए उसे खारिज कर दिया।