जबलपुर। मप्र उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा कि नियुक्ति से वंचित प्रतिभाशाली आवेदिका के लिए सरकार अपने किसी विभाग में इंग्लिश स्टेनोग्राफर का रिक्त पद खोजे अनुसूचित जनजाति वर्ग में पद उपलब्ध होने पर व्यावसायिक परीक्षा मंडल आवेदन आमंत्रित करे। यदि याचिकाकर्ता उम्मीदवार से अधिक मेधावी कोई अन्य अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं है तो मामला सरकार को भेजा जाए। इसके बाद सरकार नियमानुसार याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने की प्रक्रिया पूरी करे। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने इस प्रक्रिया को पूरी करने के लिए अधिकतम 120 दिन की मोहलत दी है।
याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी रश्मि पर्ते की ओर से अधिवक्ता केदारनाथ पोर्ते ने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने शासकीय विभागों में स्टेनोग्राफर के पद के लिए 2018 में आवेदन किया था। रश्मि एसटी वर्ग में टापर थी। याचिकाकर्ता की ओर से उसके पिता और पेशे से अधिवक्ता केदारनाथ पोर्ते ने न्यायालय को बताया कि रश्मि ने च्वाइस फिलिंग में पहली च्वाइस लोकायुक्त भरी थी। ज्वाइनिंग के समय जब वह लोकायुक्त पहुंची तो उसे पता चला कि वहां हिंदी स्टेनोग्राफर का पद रिक्त है। याचिकाकर्ता से च्वाइस भरते समय गलती हो गई थी, इसके चलते वह नियुक्ति से वंचित हो गई थी।