डिंडौरी:- दो दिनों की बारिश ने खोली 37 लाख की लागत से बने अमृत सरोवर तालाब की पोल….

डिंडौरी:- दो दिनों की बारिश ने खोली 37 लाख की लागत से बने अमृत सरोवर तालाब की पोल….

◆ विकास नहीं जिले में बने भ्रष्टाचार के अमृत सरोवर:-

◆ जनपद पंचायत डिंडौरी अंतर्गत ग्राम पंचायत मुड़ियाखुर्द का मामला:-

डिंडौरी| आदिवासी बाहुल्य जिले में जल संरक्षण के मद्देनजर कराए गए अमृत सरोवर के कार्यों की पोल दो दिन हुई बारिश ने खोल कर रख दी है। लाखों की लागत से बने तालाब व डेमो पर निर्माण कार्य के चंद दिनों बाद ही भविष्य पर सवाल खड़े होने लगे है, जिसकी बानगी है जनपद पंचायत डिंडौरी अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मुड़ियाखुर्द जहां गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य के परिणाम स्वरूप लगभग 3 माह पूर्व अमृत सरोवर अंतर्गत बनाया गया तालाब बारिश में बह गया। गौरतलब है कि ग्राम पंचायत मुड़ियाखुर्द में जिले के आर.ई. एस. विभाग एवं ठेकेदार के द्वारा नवारा झोड़ी नाले में अमृत महोत्सव अंतर्गत अमृत सरोवर का निर्माण कार्य कराया गया था जिसमें आर.ई.एस. विभाग के जिम्मेदारों सहित ठेकेदार ने गुणवत्ता को दरकिनार कर निर्माण कार्य को अंजाम दे दिया जिसके परिणाम स्वरूप उक्त अमृत सरोवर दो दिन हुई बारिश भी नहीं झेल पाया। लाखों की लागत से बनी अमृत सरोवर तालाब भ्रष्टाचार का भेंट चढ गया।

◆ भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ा 37 लाख की लागत से बने अमृत सरोवर तालाब:-

अमृत सरोवर तालाब अपनी गुणवत्ता की कहानी स्वयं ही बया कर रही हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए बताया की विभाग के जिम्मेदारों सहित ठेकेदार वा रोजगार सहायक की निगरानी में तालाब का निर्माण कार्य कराया गया था जिसमें इनके द्वारा बनड़ भराई में काली मिट्टी का उपयोग सही मात्रा नहीं किया गया तथा रोलर नहीं चलाया गया जिसके चलते तालाब की मेढ़ की मिट्टी धस रही है इसके साथ ही जल भराव के दौरान ओवर फ्लो का पानी निकलने के लिए जिम्मेदारों के द्वारा वाल नहीं बनाया गया जिसके चलते विगत दिनों हुए बारिश का तेज बहाव भ्रष्टाचार के अमृत सरोवर को बहा ले गया जिससे निर्माण स्थल के नीचे लगी कृषकों की फसल भी अमृत सरोवर के फूटने से बह गई बावजूद इसके तमाम जिम्मेदार अपनी खामियों को छिपाने के लिए नई-नई दलीलें दे रहे हैं, लेकिन यहां अहम आलम बात यह है की शासन की मनसा अनुसार जल संरक्षण के एवं ग्रामीणों सहित इनके पालतू मवेशियों की पानी की उपलब्धता के मद्दे नजर बनाया गया अमृत सरोवर 2 दिनों की बारिश भी नहीं झेल पाया और जमींदोज हो गया। यहां इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता की 37 लाख की लागत से बनाए गए अमृत सरोवर का लाभ ग्रामीणों को मिले अथवा ना मिले लेकिन जिम्मेदार विभाग के आला अधिकारी एवं ठेकेदार ने जरूर अमृत सरोवर के निर्माण कार्य के दौरान जमकर उक्त अमृत सरोवर में भ्रष्टाचार की गोते लगाए हैं जिसकी कहानी उक्त अमृत सरोवर अपनी ही जुबानी बया कर रहा है।

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