जबलपुर (नवनीत दुबे)। बड़े गर्व की बात है आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं हर हिंदुस्तानी खुशी देशभक्ति से सराबोर नजर आ रहा है और उस पर हर घर तिरंगा अभियान देशवासियों में एक नई ऊर्जा और स्फूर्ति का कार्य कर रहा हैए पर इन सबके बीच सबसे अहम बात यह है कि गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी भारत मां को आजाद कराने न जाने कितने देश भक्तों ने अपनी जान निछावर कर दी विशेष तौर पर मां भारती के सच्चे सपूत जो क्रांतिकारी थे ना कि अहिंसा के उपासक, उन वीर बलिदानी ओ क्रांतिकारियों की कुर्बानी का ही परिणाम है कि आप और हम आजाद हिंदुस्तान में सांसे ले रहे हैं और पूर्णता स्वतंत्र हैं किंतु एक बात जो मन को झकझोर रही है हर हिंदुस्तानी के, वह यह कि न जाने कितने सत्ता दिसावर गए लेकिन सिर्फ सियासत की घी में डूबी रोटी खाने की चाह में क्रांतिकारियों बलिदानों स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों की आजाद हिंदुस्तान कैसा होगा? इस सोच पर कुठाराघात करके बस सत्ता सुख की चाह में लीन रहे, और भ्रष्टाचार, घूसखोरी, कमीशन बाजी के अनुयाई देखो होकर इस कृत्य को बखूबी अंजाम देते आ रहे हैं। हालांकि यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भ्रष्टाचार घूसखोरी कमीशन की गहरी जड़ें एक चपरासी से वरिष्ठ अधिकारी और सियासत के सफेदपोश दिग्गजों तक फैली है। संभवत इसी की मांगी है कि अंडर टेबल हाथ मिलाकर मोटी रकम वसूली जाती है दुर्भाग्य कहें या विडंबना आजादी के बाद से भ्रष्टाचार घूसखोरी कमीशन का यह पेड़ वर्तमान में एक वृहद बृक्ष अर्थात वटवृक्ष का रूप धारण कर चुका है जिसकी जड़ें सियासत के गलियारों से खेलती हुई शासकीय विभागों तक अपना अधिपत्य स्थापित कर चुकी हैं, दुखद ही कहेंगे कि राजनीतिक मंचों से देश के प्रधानमंत्री से लेकर राज्यों के मुख्यमंत्री तक भ्रष्टाचार घूसखोरी कमीशन बाजी को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और रामराज्य की बातें करते हैं पर हास्यास्पद ही है जो दृष्टिगत हो रहा है वह क्या स्थिति महारथियों की करनी और कथनी को प्रदर्शित कर रहा है, आज जितने भी धनकुबेर ओके यहां छापे पड़ रहे हैं उनमें मंत्री गण भी शामिल हैं और जो व्यापारी सामने आ रहे हैं उनके ऊपर किसी ना किसी राजनीतिक दिग्गज का करहस्त है, सोचने वाली बात है कि आज हिंदुस्तान में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है पर इस महोत्सव में भी शासकीय विभागों द्वारा जो खर्च का विवरण प्रस्तुत किया जाएगा उसमें भी कमीशन भ्रष्टाचार की अहम भूमिका होगी और यूपी कमाई का हिस्सा ऊपर से लेकर नीचे तक बटेगा और सबका साथ सबका विकास का भाईचारा निभाया जाएगा। अब ऐसे में हर हिंदुस्तानी यही सोच रहा है कि भ्रष्टाचार, घूसखोरी, कमीशन बाजी से आखिर कब आजादी मिलेगी।