जबलपुर। मप्र उच्च न्यायालय के जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल की एकलपीठ ने जिले के बहुचर्चित राजू वर्मा आत्महत्या मामले के आरोपित सिविल लाइन निवासी बलिराम शाह की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। आवेदक की ओर से अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आवेदक का राजू वर्मा की आत्महत्या से कोई सरोकार नहीं था। दरअसल, राजू वर्मा शिक्षण संस्था संचालित करने के अलावा बिल्डर का कार्य भी करता था। उसने एक अपार्टमेंट बनाया था, जिसमें दूसरों की तरह आवेदक ने भी फ्लैट क्रय किया था। चूंकि विक्रय के समय किए गए वादे वहां पूरे हुए नजर नहीं आए, अतरू दूसरे क्रेताओं के साथ उसने भी विरोध दर्ज कराया था। इस सिलसिले में विभिन्न स्तर पर शिकायतें भी की थीं। राजू वर्मा कैंसर से पीड़ित था। वह आत्महत्या से दो दिन पूर्व मुंबई से इलाज कराकर आया था। बीमारी से निराश होने के कारण उसने अवसाद व तनावग्रस्त होकर अनुचित कदम उठा लिया। इसके बावजूद राजू वर्मा की पत्नी व े पुत्री ने आवेदक पर दुष्प्रेरण का अर्नगल दोषारोपण कर दिया। यहां तक कि फर्जी सुसाइड नोट तक प्रस्तुत कर दिया। ट्रायल में काफी समय लगेगा। आवेदक ओएफके में कर्मचारी है। इसलिए उसके फरार होने की आशंका निर्मूल है, उसे जमानत का लाभ दिया जाए।