डिंडौरी/शहपुरा (रामसहाय मर्दन)| एक ओर जहां प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और जिला कलेक्टर विकास मिश्रा स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए अनेक योजनाएं चला रही है वही हाल ही में प्रवास के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को सिविल हॉस्पिटल बनाने के लिए घोषणा की है लेकिन वहीं तो जमीनी हकीकत ही कुछ और बंया कर रही हैं। जहां पर डॉक्टर अपनी निजी क्लीनिक चलाने में मस्त है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से आए इलाज कराने वाले मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है बता दे आज दिन शुक्रवार को एक ऐसा ही मामला गंभीर मामला सामने आया जहां एक बालक को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिए भर्ती कराया गया,लेकिन घंटों बीत जाने के बाद भी डॉक्टर मरीज को देखने तक नहीं आए जब परिजनों ने एक डॉक्टर के निवास जाकर बुलाया तो कुछ देर के बाद डॉक्टर साहब और मृत बालक को घोषित कर दिया।
यह रहा पूरा मामला :-
मिली जानकारी के मुताबिक शहपुरा शासकीय एससी छात्रावास शहपुरा के छात्र अभिलाष झारिया पिता लवलेश ग्राम पडरिया कला उम्र लगभग 16 वर्ष का अचानक स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण सहपाठी और अधीक्षक के साथ समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शहपुरा में भर्ती कराया गया जहां उपचार सही समय में न मिलने के कारण बालक की मौत हो गई। वही मृतक अभिलाष झारिया के मित्र ने भी गंभीर आरोप लगाए हैं कि बीएमओ डॉक्टर सत्येंद्र परस्ते सही समय में इलाज करते तो काश मेरा मित्र अभिलाष झारिया बच सकता और वह हमारे साथ होता लेकिन हमारे द्वारा कई बार बुलाने के बाद भी डॉक्टर परस्ते नहीं आए, जब उनके घर जाकर जोर-जोर से आवाज लगाते रहे और उन्होंने कहा मैं नहाने धोने के बाद ही आऊंगा जाओ।
अस्पताल प्रबंधक के द्वारा हर बार मामले के बाद अस्पताल में तालाबंदी क्यों?
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शहपुरा की खबरें आए दिन कुछ ना कुछ प्रमुखता से प्रकाशित होती रहती है पहले भी अस्पताल में वाद—विवाद के कई मामले थाने तक गए हैं पीड़ितों के द्वारा बताया गया कि अस्पताल प्रबंधक के द्वारा एकजुट होकर मरीजों के परिजनों के ऊपर शासकीय कार्य बाधा ऐसे अन्य धाराओं के शिकायत कर मामला पंजीबद्ध किया गया है इससे अंदेशा लगता है कि कहीं ना कहीं अपनी नाकामी छुपाने के लिए अस्पताल प्रबंधक द्वारा तालाबंदी कर एकजुट होकर लोगों को भयभीत और डर पैदा करना चाहते हैं जिससे इनके खिलाफ आवाज बुलंद ना कर सके।
जहां एक ओर डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता हैं तो वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टरों एवं स्टॉप के द्वारा मरीजों एवं परिजनों के साथ अभद्रता की जाती है यदि कोई परिजन अपनी बात रखता है तो तो उसको उपचार मिलना मुश्किल है अगर नाइट ड्यूटी डॉक्टर को बुलाना चाहता है तो कई बार फोन लगाने के बाद भी नहीं आते और वहां के स्टाफ को के द्वारा अभद्र व्यवहार करा कर भगा दिया जाता है। पहले भी अस्पताल प्रबंधक के द्वारा कई बार थाना शहपुरा में लिखित शिकायत कर एकजुट होकर थाना प्रभारी के ऊपर दबाव बनाकर परिजनों पर मामला पंजीबद्ध करवाते हैं जिससे अस्पताल में ना उन्हें कोई बुलाने जाए और ना ही क्लीनिक में कार्य करते समय कोई डिस्टर्ब न करें।
जहां एक ओर डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता हैं तो वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टरों एवं स्टॉप के द्वारा मरीजों एवं परिजनों के साथ अभद्रता की जाती है यदि कोई परिजन अपनी बात रखता है तो तो उसको उपचार मिलना मुश्किल है अगर नाइट ड्यूटी डॉक्टर को बुलाना चाहता है तो कई बार फोन लगाने के बाद भी नहीं आते और वहां के स्टाफ को के द्वारा अभद्र व्यवहार करा कर भगा दिया जाता है। पहले भी अस्पताल प्रबंधक के द्वारा कई बार थाना शहपुरा में लिखित शिकायत कर एकजुट होकर थाना प्रभारी के ऊपर दबाव बनाकर परिजनों पर मामला पंजीबद्ध करवाते हैं जिससे अस्पताल में ना उन्हें कोई बुलाने जाए और ना ही क्लीनिक में कार्य करते समय कोई डिस्टर्ब न करें।