◆ स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि महाराज ने आदिगुरु शंकराचार्य जी का दिया जीवन परिचय:-
(रामसहाय मर्दन) डिण्डौरी। शहपुरा मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद के मार्गदर्शन में विकासखंड शहपुरा जिला डिण्डौरी में जगतगुरू आदि शंकराचार्य की जयंती के पावन अवसर पर “एकात्म पर्व आचार्य शंकर के जीवन व दर्शन” विषय पर केंद्रित व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन जनपद पंचायत सभागार शहपुरा में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष एवं महामंडलेश्वर जी द्वारा आदिगुरु शंकराचार्य के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। अतिथियों के स्वागत बाद जिला समन्वयक भुवनसिंह गेहलोत, विकासखंड समन्वयक डॉ.नीलेश्वरी वैश्य, प्रस्फुटन समितियों के सदस्य नवाँकुर एवं मेन्टर्स के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अगली कड़ी में जिला समन्वयक के द्वारा कार्यक्रम की रुपरेखा पर प्रकाश डाला गया।व्याख्यानमाला कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प.पू. महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि महाराज ने आचार्य शंकर के जीवन दर्शन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुये बताया कि किस प्रकार उनके माता-पिता ने भगवान शिव की आराधना कर उन्हें प्राप्त किया। आचार्य शंकर ने अपने जीवन के दूसरे वर्ष में ही स्थानीय भाषा के साथ-साथ संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
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◆ स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि महाराज ने आदिगुरु शंकराचार्य जी का दिया जीवन परिचय:-(रामसहाय मर्दन) डिण्डौरी। शहपुरा मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद के मार्गदर्शन में विकासखंड शहपुरा जिला डिण्डौरी में जगतगुरू आदि शंकराचार्य की जयंती के पावन अवसर पर “एकात्म पर्व आचार्य शंकर के जीवन व दर्शन” विषय पर केंद्रित व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन जनपद पंचायत सभागार शहपुरा में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष एवं महामंडलेश्वर जी द्वारा आदिगुरु शंकराचार्य के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। अतिथियों के स्वागत बाद जिला समन्वयक भुवनसिंह गेहलोत, विकासखंड समन्वयक डॉ.नीलेश्वरी वैश्य, प्रस्फुटन समितियों के सदस्य नवाँकुर एवं मेन्टर्स के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अगली कड़ी में जिला समन्वयक के द्वारा कार्यक्रम की रुपरेखा पर प्रकाश डाला गया।व्याख्यानमाला कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प.पू. महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि महाराज ने आचार्य शंकर के जीवन दर्शन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुये बताया कि किस प्रकार उनके माता-पिता ने भगवान शिव की आराधना कर उन्हें प्राप्त किया। आचार्य शंकर ने अपने जीवन के दूसरे वर्ष में ही स्थानीय भाषा के साथ-साथ संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।उसके बाद वह गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने गए और 6-7 वर्ष की आयु में उनके मन में वैराग्य हुआ। सन्यास लेने की उनके मन मे तीव्र इच्छा जागृत हुई परंतु पिताजी के देहांत के बाद घर में सिर्फ माताजी और आचार्य शंकर थे तो माताजी उन्हें स्वयं से दूर करना नहीं चाहती थी एक दिन उन्होंने नदी में स्नान करते हुए मगर के द्वारा पकड़े जाने की बात कही और कहा यदि आप मुझे सन्यास की आज्ञा देंगी तो यह मगर मुझे छोड़ देगा ऐसी स्थिति में ममतामई मां ने शंकर का जीवन बचाने के लिए उन्हें संन्यास लेने की अनुमति प्रदान की। संन्यास लेने के बाद उन्होंने भारत के चारों कोने में भ्रमण के लिए अपनी पदयात्रा प्रारंभ की। केरल से केदारधाम की यात्रा के दौरान जब वह ओमकारेश्वर पहुंचे तो उन्होंने देखा की एक संत गोविंदापादचार्य गुफा में तपस्या कर रहे हैं और मां नर्मदा अपने प्रचंड वेग के साथ आगे बढ़ती जा रही हैं उन्हें आभास हुआ कि इस प्रकार से मां नर्मदा का जल इस गुफा में प्रवेश कर जाएगा और इन संत की तपस्या में व्यवधान पैदा होगा ऐसी स्थिति में उनके मन से एक स्त्रोत्र निकल पड़ा जिसे आज हम नर्मदाष्टक के रूप में जानते हैं। आचार्य शंकर के द्वारा बोले जाने वाले नर्मदाष्टक से प्रसन्न होकर मां नर्मदा ने अपने वेग को नियंत्रित किया और पानी गुफा में जाने से रुक गया। तत्पश्चात गुरुजी ने जब उनसे उनका परिचय पूछा तो उन्होंने अपने अद्वैतवाद के सिद्धांत के अनुरूप ही उसका उत्तर दिया जिसके फलस्वरूप गुरुजी ने उन्हें अपना शिष्य स्वीकार किया और काशी में जाकर के ज्ञान प्राप्त करने का सुझाव दिया। काशी पहुंचने के बाद चांडाल वाले प्रसंग का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार आचार्य शंकर ने समाज में फैली कुरीतियों पर प्रहार करते हुए छुआछूत और जातिवाद जैसी व्यवस्थाओं के विरुद्ध अपने विचार प्रकट किए। उस समय उन्होंने सनातन धर्म को केवल कर्मकांड तक सिमटते हुए देखा और उसके उदार, समरस, और मानवतावादी सिद्धांतों को प्रतिपादित करते हुए अद्वैतवाद पर अपना विमर्श जारी रखा। आचार्य शंकर ने उस समय के कर्मकांड के पुरोधा आचार्य मंडन मिश्र के साथ शास्त्रार्थ करके अपने अद्वैतवाद को प्रतिपादित किया। तत्पश्चात दूसरे मुख्य वक्ता के रूप में बृजेश पाठक जी व्याख्यान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि आदि गुरु अर्थात ऐसे गुरु जिनका न आदि का पता और नही अंत का पता वह तो स्वयं साक्षात भगवान शिव का अंश है। जिन्हें अल्पायु में ही समस्त शास्त्रार्थ का ज्ञान हो गया था।उनके द्वारा ही भारतवर्ष में विभिन्न वेदों, उपनिषदों, ग्रंथो आदि की रचना की गई है। तथा भारत वर्ष को सास्कृतिक धार्मिक एवं आध्यात्मिक एकता के एक सूत्र में बांधने हेतु देश के चार कोने में चार प्रमुख मठो की स्थापना की है जिन्हें हम श्रेगरी मठ, गोवर्धन मठ, शारदा मठ ज्योतिर्लिंग मठ, जो हमारी हिन्दू धर्म सास्कृति के आधार है उन्हें अल्पायु में ही सत्य से साक्षात्कार हो गया था। उनके द्वारा दिए गए सूत्र सर्वं खल्विदं ब्रह्म के अनुरूप आचरण करते हुए हम सब में एक ही ब्रह्म का निवास है हम सब एक हैं इसी भाव के साथ हम सबको अपना जीवन जीना चाहिए। इस तरह आदि गुरु शकराचार्य जी ने सनातन धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार करते हुए संपूर्ण भारत को एकता के सूत्र में पिरोने का अद्वितीय कार्य किया। जिला समन्वयक भुवनसिंह गेहलोत ने भी अपने विचार रखते हुए हैं कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य जी की जयंती के पावन अवसर पर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम रखने का मूल उद्देश्य आज की पीढ़ी को धर्म सस्कृति एवं सभ्यता से जोड़ते हुए विकास की मुख्य धारा से जोड़ना हैं। साथ ही हम सब को भी आदि गुरु शंकराचार्य जी के जीवन दर्शन से प्रेरणा लेते हुए सामाजिक समरसता के साथ साथ एकता के सूत्र में पिरोते हुए सार्वजनिक कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी आधुनिक सुख सुविधाओं के कारण अपनी क्षमताओ एवं धर्म संस्कृति को समय के साथ भूलती जा रही है उन्हें पुनः मुख्य धारा में लाने की आवश्यकता है। संभाग समन्वयक रवि बर्मन जन अभियान परिषद संभाग जबलपुर ने भी आदिगुरु के एकात्म पर्व उद्बोधन दिया और कहा की हम सभी को इनके जीवन शैली और विचार को उतारना होगा। कार्यक्रम में वरिष्ठ समाजसेवी किशोर गुलवानी, सहकारी प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष रामलाल रजक, जिला संयोजक वि.हि.प.प्रहलाद साहू, जनपद सदस्य सोन लाल परस्ते, मंडल अध्यक्ष घनश्याम कछवाहा ने भी आदिगुरु शंकराचार्य जी के विषय पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन मेंटर्स व ग्राम प्रस्फुटन समिति सचिव कृष्ण कुमार साहू ने किया एवं कार्यक्रम के समापन अवसर पर विकासखंड समन्वयक शहपुरा डॉ नीलेश्वरी वैश्य द्वारा सभी का आभार प्रदर्शन किया। उक्त कार्यक्रम में मेंटर्स गोपाल रैदास, बड़ी संख्या में ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति सदस्य, नवांकुर संस्था प्रतिनिधि, कोरोना वालेंटियर, स्वेच्छहिक संगठन प्रतिनिधि आदि प्रबुद्ध वर्ग एवं ग्रामीण जन उपस्थित रहे।