EV Sale: 62% घट गई EV दोपहिया वाहनों की बिक्री, जानिए क्या है वजह

EV Sale: 62% घट गई EV दोपहिया वाहनों की बिक्री, जानिए क्या है वजह

जून के पहले 15 दिनों में देश में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री में काफी गिरावट आई है। सरकार ने इन वाहनों पर मिलने वाली सब्सिडी में एक जून से कटौती करने का फैसला किया था। इस कारण मई के मुकाबले जून में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 62 फीसदी तक कमी आई है।

नई दिल्ली: सब्सिडी में कटौती का असर इलेक्ट्रिक दोपहिया गाड़ियों की बिक्री में दिखने लगा है। 1 से 15 जून के दौरान औसत दैनिक बिक्री मात्रा में मई के मुकाबले 62% से अधिक की गिरावट आई है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के ऑटो पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार मई में प्रतिदिन 3,395 इलेक्ट्रिक दोपहिया गाड़ियों की बिक्री हुई थी, जो जून में घटकर 1,271 यूनिट रह गई। मई में कुल 14,97,956 दोपहिया बेचे गए थे उनमें से 7.73% इलेक्ट्रिक दोपहिया थे। जून में यह हिस्सेदारी घटकर 2.65% रह गई। यानी जितने दोपहिया जून में बेचे गये उनमें 2.65% ही इलेक्ट्रिक दोपहिया गाड़ियां बिकीं। एक जून से ईवी पर सब्सिडी कम हो गई है।

गौरतलब है कि भारी उद्योग मंत्रालय के नोटिफिकेशन के अनुसार फास्टर एडॉप्शन ऑफ मैन्युफैक्चरिंग इलेक्ट्रिक एंड हाइब्रिड वीकल्स इन इंडिया यानी FAME-II योजना के तहत इलेक्ट्रिक स्कूटर के लिए 1 जून से अधिकतम सब्सिडी इलेक्ट्रिक के एक्स-मार्केट मूल्य के मौजूदा 40% से घटकर 15% हो जाएगी। इसके अलावा सब्सिडी मौजूदा 15,000 रुपये के बजाय EV की बैटरी क्षमता के प्रति किलोवाट घंटा 10,000 रुपये होगी। इसका मतलब है कि गाड़ी में बैटरी क्षमता पर ₹10,000 प्रति kWh की दर से सब्सिडी की पेशकश की जाएगी, जो कि पहले प्राप्त बैटरी क्षमता इन्सेंटिव मैन्युफैक्चररों के ₹15,000 प्रति kWh से भी कम है। FAME-II प्रोत्साहन का लाभ उठाने के लिए निर्माता के लिए एक स्कूटर की अधिकतम एक्स-फैक्टरी कीमत ₹1.50 लाख होनी चाहिए।

ग्राहकों पर बोझ

एक्सपर्ट के अनुसार दोपहिया EV पर एक्स-फैक्टरी कीमत ₹1.50 लाख रुपये तक पर यह सब्सिडी मिलेगी। मौजूदा नियम के तहत यह सब्सिडी EV गाड़ी बनाने पर प्रति वीकल 60,000 रुपये तक बैठती थी। मगर अब यह घटकर 22,500 रुपये प्रति वीकल हो जाएगी। अगर गाड़ी की कीमत 1 लाख रुपये हैं तो पहले सब्सिडी 40,000 रुपये मिलती थी, अब 15,000 रुपये मिलेगी। ऑटो एक्सपर्ट का कहना है कि अब कंपनियां इसका बोझ ग्राहकों पर डाल रही हैं। ऐसे में बिक्री का कम होना स्वाभाविक है।

 

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