जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के पदाधिकारियों के बीच चल रहे विवाद का प्रकरण इंडस्ट्रियल कोर्ट को भेजने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने इस संबंध में रजिस्ट्रार फर्म्स एवं सोसायटी को निर्देश दिए हैं। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि अनावेदक अशोक शर्मा व अन्य के खिलाफ गंभीर आर्थिक अनियमितता का आरोप है और एफआईआर भी दर्ज है। इसके मद्देनजर और यूनियन का पैसा बचाने की दृष्टि से पदाधिकारियों को इंडस्ट्रियल कोर्ट की अनुमति के बाद ही पैसा निकालने कहा है। दरअसल, पूर्व में उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश के जरिए पदाधिकारियों को पैसा निकालने की अनुमति दे दी थी।
संघ की उपाध्यक्ष सविता त्रिपाठी व सहायक महासचिव एसके सिन्हा ने याचिका दायर कर बताया कि जनरल सेक्रेटरी अशोक शर्मा पर यूनियन के पैसे के गबन का आरोप था। इसके लिए 2 अक्टूबर 2021 को वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई गई, जिसमें शर्मा नहीं पहुंचे। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने बताया कि बाद में अशोक शर्मा ने एक फर्जी चिट्ठी के माध्यम से 7 अक्टूबर की मीटिंग की कार्रवाई दिखाकर संघ के अध्यक्ष आरपी भटनागर को हटाने की जानकारी रजिस्ट्रार को भेज दी। रजिस्ट्रार ने भी अशोक शर्मा की अध्यक्षता वाली पदाधिकारियों की नई सूची को स्वीकार कर लिया। मामले पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने कहा कि यदि पदाधिकारियों में विवाद की स्थिति होती है तो रजिस्ट्रार को एक पक्ष की सूची को स्वीकार करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि संघ का वैधानिक पदाधिकारी कौन है, इसका निर्णय इंडस्ट्रियल कोर्ट करेगी।