प्रभात साहू का इस्तीफा कही प्रदेश नेतृत्व की मनमानी तो बयां नही कर रहा?
जबलपुर(नवनीत दुबे)- वैसे तो समूचे मध्यप्रदेश में भाजपाई आलाकमान व प्रदेश के दिग्गजों द्वारा टिकिट वितरण से असंतोष ओर आक्रोश का माहौल व्याप्त है और कार्यकर्ताओं को मनाने दिग्गज हरसंभव प्रयास कर रहे है, लेकिन विडंबना ही कहेंगे कि जमीनी समर्पित कार्यकर्ताओ को डर किनार कर अपने अपने चहेतों की प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने मैदान में उतार दिया है? शायद इसी की परिणीति है कि कर्मठ भाजपाई स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे है और इसका भुगतमान चुनाव परिणाम के रूप में भाजपा आलाकमान को दृष्टिगत होगा ,जो आगामी लोकसभा चुनाव को भी प्रभावित कर सकता है! मुद्दे की बात पर आते है संस्कारधानी जबलपुर में भी विधानसभा प्रत्याशी के रूप में भाजपा प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, उनका भी विरोध जमकर हुआ लेकिन भाई भतीजावाद की नीति रीति के फलस्वरूप प्रत्याशियों के चेहरे में कोई बदलाव नही किया गया, हालांकि डेमेज कंट्रोल करने के लिए आलाकमान देश के गृह मंत्री अमित शाह जी का संस्कारधानी आगमन हुआ था और उन्होंने रूष्ट व आक्रोशित प्रबल दावेदारों को साधने के प्रयास किये, सीधी सी बात है जब वरिष्ठ ओर भजपाई दिग्गज सामने हो तो समर्पित कर्मठ कार्यकर्ता भाई साहब के आदेश को मानने विवश ही होगा क्योकि भाजपा की नीति रीति ही वरिष्ठों का सम्मान करने की है, लेकिन भीतर ही भीतर अपने साथ हुए छल से व्यथित प्रबल दावेदारों के आत्म सम्मान से हुए कुठाराघात की वेदना इतने वर्षों की पार्टी सेवा के बदले मिले तिरस्कार का अहसास प्रतिपल करा रही है, खेर सियासत का यही दस्तूर है शायद “कर्मठ को कमजोर और चाटुकार का जोर होता है” इसी तारतम्य में संस्कारधानी के भाजपा अध्यक्ष प्रभात साहू ने अपने आत्म सम्मान से हुए कुठाराघात के चलते अपने पद से इस्तीफा देकर नया भूचाल ला दिया हालांकि पश्चिम ओर उत्तर से भाजपा प्रत्यशियों के नाम की घोसड़ा के बाद से ही श्री साहू दुखी थे? ऐसी चर्चा शहर में जोरो पर थी और आज इस्तीफा देने के बाद ये बात प्रमाणित भी हो गई, भाजपा में उपजे आक्रोश ओर असंतोष को छुपाने संगठन जो भी तर्क दे पर भाजपा में जो हो रहा है इसकी चर्चा भाजपाई कार्यकर्ताओ के साथ ही संस्कारधानी वासी बड़े चटकारे लेकर कर रहे है, सूत्रों की माने तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा जी की मनमानी वर्चस्वता की परिणति स्वरूप ही भाजपा में आक्रोश असंतोष का माहौल बन गया है? अब इस बात में कितनी सच्चई है ये तो बोलने वाले ही जाने, लेकिन दृष्टिगत परिप्रेशय में ये कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि आक्रोशित भाजपाइयों के हृदय में भीतर ही भीतर सुलग रही आग पश्चिम ओर उत्तर मध्य विधानसभा के चुनाव परिणाम में समीकरण बिगड़ सकरी है?