जबलपुर, डेस्क। मप्र उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश के जरिये याचिकाकर्ता सहायक प्राध्यापकों को वर्तमान जगहों पर कार्यरत रखने की व्यवस्था दी है। इसी के साथ राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया गया।
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता भिंड निवासी प्रदीप सिंह भदौरिया, डिंडोरी निवासी शशिकांत चंदेल, कटनी निवासी अतुल कुमार व अजय कुमार कुररिया, श्योपुर निवासी ज्योति शुक्ला व भोपाल निवासी स्नेहा खरे की ओर से अधिवक्ता सचिन पांडे व पराग तिवारी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता जिन शहरों के निवासी हैं, वहां के शासकीय महाविद्यालयों में वर्ष 2019 से पदस्थ हैं। वे अलग-अलग विषयों के सहायक प्राध्यापक हैं। नियमित नियुक्ति के बावजूद उनका नाम पुनरीक्षित सूची जारी कर पूरक सूची में शामिल कर दिया गया है। इस वजह से नौकरी खतरे में पड़ गई है। इस रवैये के खिलाफ उन्होंने विभागीय स्तर पर विरोध दर्ज कराया। आवेदन दिए। लेकिन ठोस नतीजा नहीं निकला। इसीलिए न्यायहित में मप्र उच्च न्यायालय चले आए।
बहस के दौरान अनेक न्यायदृष्टांत रेखांकित किए गए। इनके जरिये याचिकाकर्ताओं को पूरक सूची में दर्ज किए जाने को अनुचित करार दिया गया। उच्च न्यायालय से निवेदन किया गया कि अंतरिम राहत के जरिये सेवा सुरक्षित की जाए। उच्च न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेकर अंतरिम राहत प्रदान कर दी। साथ ही राज्य शासन सहित अन्य से जवाब-तलब कर लिया। इसके जरिये पूछा गया है कि क्यों न याचिकाकर्ताओं के हक में अंतिम आदेश सुना दिया जाए।