जबलपुर। मप्र उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में कहा कि तबादले का कोई भी आदेश जो विशुद्ध रूप से एक मंत्री की अनुशंसा पर जारी किया गया हो, विधि की दृष्टि में अवैध है। चीफ जस्टिस रवि मलिमथ व जस्टिस पीके कौरव की डिवीजन बेंच ने इस मत के साथ बुरहानपुर नगर निगम कमिश्नर श्याम कुमार सिंह के तबादले का आदेश निरस्त कर दिया। न्यायालय ने उनकी जगह स्थानांतरित किए गए संजय मेहता को उन्हें प्रभार सौंपकर राज्य सरकार के आगामी आदेश का इंतजार करने के निर्देश दिए।
दो सालों में तीन बार तबादला
श्याम कुमार सिंह की ओर से यह अपील दायर की गई। न्यायालय को बताया गया कि याचिकाकर्ता का 9 जुलाई 2020 को रतलाम नगर निगम कमिश्नर के पद से संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन विभाग रीवा के पद पर तबादला किया गया। इसके महज 11 माह बाद ही 4 जून 2021 को उन्हें रीवा से बुरहानपुर नगर निगम कमिश्नर के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया। यहां भी वे महज 10 माह ही कार्य कर सके और 7 अपै्रल 2022 को उन्हें संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन विभाग भोपाल के पद पर स्थानांतरित कर दिया गया। इस आदेश को उन्होंने उच्च न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन सिंगल बेंच ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इस पर यह अपील प्रस्तुत की गई।
मंत्री ने बनाया था दबाव
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत जवाब में बताया गया कि उक्त तबादला स्थानीय चयनित जनप्रतिनिधि की अनुशंसा पर किया गया। उच्च न्यायालय ने मामले के दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद पाया कि स्थानीय सांसद ने अपीलकर्ता का तबादला कर उनकी जगह संजय मेहता को पदस्थ करने की अनुशंसा की। यह फाइल नगरीय प्रशासन विभाग आयुक्त के पास गई लेकिन उन्होंने अपीलकर्ता के तबादले का अनुमोदन नहीं किया। विभाग के प्रमुख सचिव ने भी यही किया। इस पर विभाग के मंत्री ने 7 मार्च 2022 को अपीलकर्ता के तबादले की अनुशंसा कर फाइल चीफ मिनिस्टर के समक्ष भेजकर अनुमोदन का दबाव बनाया गया। 6 अप्रैल 2022 को सीएम के अनुमोदन के बाद 7 अप्रैल को तबादले के आदेश जारी कर दिए गए।
मामले में ऐसा दखल अनुचित
न्यायालय ने कहा कि चयनित जनप्रतिनिधियों को सदैव सरकारी कर्मी के तबादले की अनुशंसा का अधिकार होता है। लेकिन ऐसी अनुशंसा उचित कारण से होनी चाहिए। विभागीय अधिकारियों के इनकार के बावजूद मंत्री की ओर से इसके लिए दबाव बनाने का हस्तक्षेप सर्वथा अनुचित है। न्यायालय ने कहा कि मंत्री के दबाव के अलावा उक्त तबादले के लिए कोई प्रशासनिक आधार नहीं है, और ना ही यह जनहित में है। अपीलकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन सिंह के साथ अधिवक्ता ऋ षभ सिंह ने पैरवी की।