कल तक जो भाजपाई था, आज भाजपा से उसका नाता तक नही, मामा का बुलडोजर लापता
जबलपुर (नवनीत दुबे)। बीते दिनों संस्कारधानी में हुई एक घटना ने खाखी की करनी ओर कथनी की कलई खोल दी साथ ही सत्ता के हुक्मरानों की दबंगई को उजागर करके रख दिया सर्वविदित है। भाजपा नेता प्रियांश विश्वकर्मा के कार्यालय में वेदिका सिंह को लगी गोली ने सियासती भूचाल ला दिया जिससे प्रदेश की सियासत गरमा गई है। विपक्ष में बैठी कांग्रेस इस मुद्दे को तूल देकर भाजपा के चरित्र को दागदार करने हरसंभव प्रयास कर रही है, मुद्दे की बात पर आते है वेदिका सिंह जो जबलपुर मे रहकर पढ़ाई कर रही है। उसका प्रियांश विश्वकर्मा से मित्रवत मधुर संबंध लंबे समय से है। ऐसी चर्चा हो रही है तो वही प्रियांश विश्वकर्मा एक केंद्रीय मंत्री व विधायक के परिवार का करीबी बताया जा रहा है। सीधी सी बात है, एक युवा नेता का अगर इतने रसूख दार परिवार से करीबी होगी तो वह खुद को वजनदार ही महसूस करेगा और अपने नाम का दमखम भी दिखायेगा हुआ भी ठीक ऐसा ही प्रियांश के ऑफिस पहुची वेदिका के साथ हुई घटना ने साबित कर दिया बताया जा रहा है कि वेदिका से प्रियांश किसी बात को लेकर नाराज था। इसी सम्बंध में बात करने दोनों की मुलाकात हुई थी, लेकिन एकाएक ऐसा क्या हुआ कि राजनीतिक रसूखदार के कृपा पात्र को रिवाल्वर निकलने की जरूरत पड़ गई और गलती से फायर हो गया खैर जो हुआ सो हुआ पर समूचे घटनाक्रम में जो पहलू सामने आया वह ये सोचने विवश कर रहा कि पुलिस का कानूनी डंडा कय्या आमजन के लिए ही चलता है और दबंगो के सामने पुलिस नतमस्तक हो जाती है वेदिका के परिजनों का आरोप है कि संजीवनी नगर पुलिस की लचर ओर राजनीतिक गुलाम कार्य प्रणाली के चलते पीड़िता के परिजनों की पुलिस सुन ही नही रही थी। लेकिन जब मामले ने तूल पकड़ा तो बतौर रस्मअदायगी मामूली धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। जबकि वेदिका के कमर में गोली लगने की बात कही जा रही है और हालात गंभीर है उसकी पर वाह री कर्तव्यनिष्ठ पुलिस सियासती दबंगो के समक्ष दंडवत नजर आ रही है ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि कमजोर प्रकरण बनने के कारण प्रियांश पर कोई कठोर कानूनी कार्यवाही नही हो पायेगी ओर वह पुनः उसी जोश और रशुख के साथ साथ अपना रुतबा झाड़ता नजर आएगा ? विडंबना ही कहेंगे कि भाजपाई आयोजनों में एक कर्मठ कार्यकर्ता की भांति बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाला प्रियांश आज भाजपाई कार्यकर्ता नही है ये कहकर नगर अध्यक्ष व अन्य वरिष्ठ पल्ला झाड़ रहे है, तो वही प्रदेश के मुख्यमंत्री इस मामले में मौन साधे है साथ ही गुंडे, बदमाशो, माफियाओं को जमीन में गाड़ने की हुंकार भरना सिर्फ सियासती स्टंट प्रतीत हो रहा है, ओर बुलडोजर सिर्फ चिन्ह चिन्ह कर कार्यवाही कर रहा है? अब देखना ये है कि पुलिस विभाग की लचरता ओर सियासती कृपा के चलते गोली कांड के आरोपी पर कय्या कार्यवाही होती है? या फिर वेदिका आगे चलकर मुद्दे को दिशाविहीन करती है ?