जबलपुर, डेस्क। मप्र उच्च न्यायालय ने मेडिकल कालेज जबलपुर के डीन को 24 घंटे के भीतर इस आशय की रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं, कि दुष्कर्म पीडिता का गर्भपात संभव है या नहीं? न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता दुष्कर्म पीडिता की ओर से अधिवक्ता अंचन पांडे व अधिवक्ता मनीष मेश्राम ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 23 वर्षीय याचिकाकर्ता के साथ दुष्कर्म हुआ था, जिसके बाद वह गर्भवती हो गई। वह अनचाहा गर्भ गिराना चाहती है। इसीलिए उच्च न्यायालय की शरण लेकर अनुमति चाही गई है। उच्च न्यायालय ने मामले को बेहद गंभीरता से लेकर आदेश पारित किया।
सोमवार 27 जून को मामले की सुनवाई हुई। न्यायालय ने आदेश दिया कि बुधवार 29 जून को मामला फिर से सुना जाएगा। इस बीच मंगलवार 28 जून को सुबह 10 बजे याचिकाकर्ता डीन के समक्ष प्रस्तुत होगी। डीन तीन चिकित्सकों की टीम गठित करेंगे। जिसमें महिला व शिशु रोग विशेषज्ञ, एचओडी व रेडियोलाजिस्ट को रखा जाए। यह टीम अल्ट्रा सोनोग्राफी सहित अन्य जांच के उपरांत यह सुनश्चित करेगी कि वर्तमान दशा में याचिकाकर्ता का सुरक्षित गर्भपात संभव है या नहीं? यह रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष आगामी सुनवाई के दौरान प्रस्तुत की जाए। जिस पर गौर करने के बाद आगामी आदेश पारित किया जााएगा। उच्च न्यायालय ने सोमवार को पारित आदेश की एक प्रति अविलंब डीन मेडिकल कालेज को भेजे जाने के निर्देश दिए, ऐसा इसलिए ताकि मंगलवार को याचिकाकर्ता के मामले में आगे की कार्रवाई को गति दी जा सके।